आज हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है, गरीब-अमीर सभी इससे परेशान हैं. लेकिन क्या कभी किसी ने भ्रष्टाचारियों के अंदरूनी जीवन में झांक कर देखने की कोशिश की है? सिर्फ उनकी बाहरी शानो-शौकत को देखकर आमलोग भी उसी के नक्शे कदम पर चलकर उस जमात में शामिल हो जाते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ाने में मदद करते हैं.
भ्रष्टाचारी आंतरिक शांति नहीं पा सकते हैं क्योंकि यह ईश्वर का बनाया हुआ नियम है. इस दुनिया में कहीं तो ईष्वर हैं जो सारे संसार को संतुलित किये हुए हैं. ईमानदारी का एक रुपया बेईमानी के सौ रुपये से भी बढ़कर होता है. बेईमानी का पैसा हमेशा अस्पताल या कोर्ट के चक्कर लगाने में ही चला जाता है. अत: भ्रष्टाचारियों से अनुरोध है कि एक बार ईमानदारी की राह पर चलकर देखो, पता चलेगा कि मन की शांति क्या होती है?
अनिल कुमार, धनबाद