तमाम अवरोधों के बावजूद महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. देश की रक्षा में अहर्निश तत्पर सेना में भी उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, पर अब तक उन्हें सीधे मोर्चे पर तैनात करने से परहेज किया जाता रहा है. लेकिन घर की चारदीवारी और सामाजिक पिछड़ेपन की हद को लगातार चुनौती देती ललनाओं की हिम्मत की दस्तक अब सेना की अगली कतार में होगी और इसकी शुरुआत आसमान से सरहदों की निगहबानी करते वायुसेना के लड़ाकू विमानों के संचालन से होगा. केंद्र सरकार ने वायु सेना के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है.
रक्षा मंत्री के साथ संबंधित बैठक में तीनों सेनाओं के अध्यक्ष मौजूद थे और यह निर्णय सबकी उत्साहवर्द्धक सहमति से लिया गया. उम्मीद है कि जल्दी ही थल सेना और नौसेना के लड़ाकू दस्तों में महिला सैनिकों को जिम्मेवारी देने की घोषणाएं भी कर दे जायेंगी. वर्तमान में वायुसेना अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही अधिकारियों में से पायलटों का चुनाव होगा और अगले साल जून में चयनित सैनिकों को एक वर्ष तक विशेष प्रशिक्षण देने के बाद जून, 2017 में बाकायदा लड़ाकू विमानों में पदस्थापित कर दिया जायेगा. फिलहाल तीनों सेनाओं में युद्ध सैनिक की जिम्मेवारी के अलावा महिलाएं सभी क्षेत्रों में कार्यरत हैं.
लड़ाकू विमानों के चालक के रूप में अवसर मिलने के बाद महिलाएं वायुसेना की हर शाखा के लिए योग्य हो गयी हैं. वायु सेना में अभी लगभग 1500 महिलाएं सेवारत हैं. इनमें से 94 पायलट हैं जो सामान्य वायुयान और हेलीकॉप्टर उड़ाती हैं तथा 14 सहायक उड़ान कर्मचारी हैं. अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन जैसे दुनिया के बड़े सैन्य-शक्ति संपन्न देशों में महिलाएं वर्षों से सेनाओं के हिरावल दस्ते का हिस्सा हैं.
भारतीय वायुसेना में लड़ाकू विमानों में महिला पायलटों की नियुक्ति से न सिर्फ हमारी सेनाओं को वैविध्य और शक्ति मिलेगी, बल्कि महिलाओं को लेकर समाज में हो रहे प्रगतिशील बदलावों को भी जोरदार प्रोत्साहन मिलेगा. सागर की अनंत गहराइयों से अंतरिक्ष की असीम दूरी को मापनेवाली हमारी महिलाओं के अब सरहदों की सुरक्षा की सीधी कमान संभालने का यह समाचार शुभ और अभिनंदनीय है. उम्मीद है कि आनेवाले समय में अधिक-से-अधिक महिलाएं अपनी क्षमता और साहस के दम पर न सिर्फ वायु सेना, बल्कि थल सेना और नौसेना में भी अग्रणी भूमिकाओं को निभाती नजर आयेंगी. आमीन.