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स्वच्छ भारत का सपना रह गया अधूरा

पिछले साल दो अक्तूबर को गांधी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान को राष्ट्रीय बनाया गया. देश के नामचीन हस्तियों के साथ उद्योगपति, नेता, अभिनेता, सरकारी कर्मचारी, खिलाड़ी, स्कूली छात्र-छात्राओं ने अपने हाथ में झाड़ू थाम लिये. इस अभियान का देश की […]

पिछले साल दो अक्तूबर को गांधी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी. इस अभियान को राष्ट्रीय बनाया गया. देश के नामचीन हस्तियों के साथ उद्योगपति, नेता, अभिनेता, सरकारी कर्मचारी, खिलाड़ी, स्कूली छात्र-छात्राओं ने अपने हाथ में झाड़ू थाम लिये. इस अभियान का देश की आम जनता ने भी अपना समर्थन दिया. आज इस अभियान को शुरू हुए एक साल बीत गये, लेकिन यह सिर्फ दिखावा बन कर ही रह गया.
स्वच्छ भारत अभियान को एक संकल्प के रूप में पेश किया गया था, लेकिन यह सिर्फ सुर्खियां बटोरने के साथ अखबारों में फोटो छपवाने तक ही सीमित रह गया. शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों की भी स्थिति दयनीय है. आज भी देश का हर दूसरा व्यक्ति खुले में शौच करता है.
खुले में शौच अंतराष्ट्रीय स्तर पर शर्म की बात है. केंद्र सरकार ने 2019 तक यानि गांधी जी की 150वीं जयंती तक भारत को स्वच्छ बनाने की निर्णय लिया है. सवाल यह पैदा होता है कि क्या इस तरीके से आगामी चार सालों में भारत स्वच्छ हो सकेगा?
आज जरूरत इस बात की है कि स्वच्छ भारत अभियान को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया जाये. स्वच्छ भारत का सपना पूरा होगा. इससे स्वच्छ भारत से विदेशी सैलानियां भी भारत की ओर आकर्षित होंगे, जिससे देश को पर्यटन क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे.
देश की आम से लेकर खास लोग अपनी भागीदारी तय करके इस अभियान से जुड़ कर भारत को स्वच्छ तथा निर्मल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं. जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं, बल्कि स्थानीय निकाय और आम जनता की भी है.
– प्रताप तिवारी, सारठ

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