सरकार जनता के विकास के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं बनाती है, जिसके क्रियान्वयन की िजम्मेदारी सरकारी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, संवेदकों और सरकारी संस्थानों की है. इसके विपरीत योजनाओं के क्रियान्यवन के जिम्मेदार लोग योजनामद की अिधकांश रािश अपनी जेब में डाल लेते हैं और योजना को किसी प्रकार पूरा कर अपने काम की इतिश्री कर देते हैं.
इन्हीं सरकारी अिधकािरयों की कारगुजारी और जनता को उसका लाभ दिलाने के लिए देश में माओवादी संगठन का उदय हुआ, लेिकन इधर कुछ वर्षों से देश में संचालित नक्सली संगठन अपने मकसद से भटक गये हैं. उनका काम सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों से लेवी वसूलने के सिवा और कुछ रह नहीं गया है. जिस राह पर सरकारी अधिकारी और संस्थान के लोग चल रहे थे, उसी राह पर वे भी चलने लगे हैं.
– मंजू संडील, जमशेदपुर