बम्मई में कानून बन रहा है, ऑटो चलानेवाले जब तक मराठी न पढ़ लें औ आठवीं तक की डिग्री न ले लें, तब तक उन्हें लाइसेंस नहीं मिलेगा. लोदर ने जब यह खबर दी तो गांव की पंचाईत सकते में आ गयी.
जनता ने अपनी आंख से देखा है. कोई छिपी-छुपाई बात ना है. भोला उनाय बम्मई को गरिआय के छोड़ दिया औ कसम खावा कि अगर हमार औलादें समझदारी से काम लेंगी, तो कभी भी बम्मई की तरफ मुंह करके…’ लोदर मौर्या ने रोका- ऐसा नहीं बोलते, कल तक उसी बम्मई की तारीफ करते रहे- ओ ऊंची बिल्डिंग, ऊपर देखो तो टोपी गिर जाये, गोरी चिट्टी मेमे, सांताक्रुज क पाव भाजी, खार क पान. यहां तक कि राज बब्बर से साछात बतियाते रहे. अब का हो गवा कि बम्मई की तरफ झांकबे तक नाय?
भोला हत्थे से उखड़ गया- सब झूठ, बस सुनाय के मन के बहलाते रहे, पापी पेट के लिए का का नहीं करना पड़ता है, वरना बम्मई कोई रहे क जगह है. न रहे क जगह न दिसा-मैदान क जगह. पूरे दस रुपया रोज का खर्च रहा दिसा-मैदान वास्ते… लोदर ने हथेली पर तैयार खैनी मुंह में ऐसे डाला जैसे रामदीन पंडित रामायण के पोथी में नोट रखते रहे- हुआ क्या वह तो बताओ? और भोला ने जो बयान दिया, वह चौराहे पर जेरे-बहस हो गया.
बम्मई में कानून बन रहा है, ऑटो चलानेवाले जब तक मराठी न पढ़ लें औ आठवीं तक की डिग्री न ले लें, तब तक उन्हें लाइसेंस नहीं मिलेगा. लोदर ने जब यह खबर दी तो गांव की पंचाईत सकते में आ गयी. बड़ा कमाल का कानून है भाई. मुला ई सब बम्मई कमा के लौटे वाले जब भी गांव आते रहे, ऐसी मराठी बोलते रहे कि पूछो मत. जदि सरकार कहती है कि मराठी बोलो, तो बोलो, का दिक्कत है? लाल्साहेब के इस माकूल सवाल का जवाब उमर दरजी ने दिया- इदरीस चचा क बड़ा लड़िका कमाल भी बतावत रहा कि मराठी में बाकायदा इम्तहान होगा और पास होनेवाले को ही लाइसेंस मिलेगा. नवल ने जुमला दिया- अबे उमर के बच्चे, तेरी ऑटो पेट्रोल से चलेगा कि मराठी भाषा से?
लखन कहार ने जम्हाई ली- दस साल पुरानी बात है. हरिहर मिसिर बम्मई छोड़ के ना भाग आये रहे, गलती इत्ती रही कि सड़क किनारे पेशाब कर दिये रहे, जब तक मिसिर जी कान से जनेऊ उतारे, तब तक पुलिस आ गयी और पचास रुपया जुरमाना देकर छूटे. फिर भूल के बम्मई ना गये… लेकिन हिंया पुलिस ना पकड़ती कि खेत में क्यों जा रहे हो. हर जगह का अपना कानून है. बिंद बहादुर को गुस्सा आ गया- बम्मई क कथा सुनोगे? मांस मत खाओ, कानून बनेगा. फुल पैंट मत पहनो, कानून बनेगा, औरतें घर के अंदर रहें, कानून बनेगा… का हो रहा है इस मुल्क में? सब कुछ सरकार तय करेगी?
पन्ने लाल डाॅक्टर, जो बम्मई में ही रहते हैं, ने बताना शुरू किया.बहुत खराब जमाना है भाई. अभी दो साल पहले की बात है. हमने अपनी आंख के सामने देखा है नौकरी की तलाश में उत्तर प्रदेश और बिहार से आये लड़कों को घसीट-घसीट कर लबे-सड़क पर मारा गया. कपड़े फाड़े गये. खीसा तक खाली कर दिया. हालांकि, तब की राज्य सरकार ने उसे रोका. मुकदमा दर्ज हुआ, गिरफ्तारी हुई, लेकिन अब तो मामला ही दूसरा है.
मद्दू पत्रकार ने अखबार बगल रख दिया- देखो भाई. भारत के कई टुकड़ों में होने की जमीन तैयार की जा रही है. भाषा, जाति, धर्म के नाम पर मुल्क टुकड़ों में बंट जायेगा. महाराष्ट्र में केवल मराठा रहेंगे, राजस्थान में राजस्थानी. किसी दूसरे सूबे के किसी नागरिक को इन सूबों में आना-जाना हो, तो पासपोर्ट बनवाओ. और यही लोग नारा लगाते हैं अखंड भारत का. ये तो कहो कि यह जो हिंदी पट्टी का लोग है न, इसे सबसे पहले अपने देश की चिंता सताती है. असम अलग राज्य बनेगा. खालिस्तान अलग राज्य बने. बोडो लैंड, कश्मीर सामने ही है. एक किस्सा सुनाता हूं. खालिस्तान का आंदोलन जोरों पर था. हम पटना गये थे. टेसन से रिक्सा किया बोरिंग रोड जाने के लिए. बिहार बहुत पोिलटिकल जगह है. बिहार बाचाल भी है. पता है रास्ते में रिक्सावाला बोला- साहेब आप तो दिल्ली से आये लगते हैं. ई पंजाब अलग हो जायेगा का? यह है बिहार और यूपी का मिजाज. शाम को रोटी का जुगाड़ है कि नहीं, इसकी चिंता नहीं है, लेकिन उसे चिंता है पंजाब की, असम की, कश्मीर की.
बिहार में चुनाव भी तो हैं… नवल ने नया सवाल उठा दिया.
चिखुरी आ गये मैदान में- मराठी, गुजराती की बात करनेवाले बिहार जाकर क्या कहेंगे? यह तो बिहार का बड़प्पन है, उसका दिल बहुत बड़ा है. वह क्षेत्रवाद, जातिवाद के ऊपर उठ कर चलता है. जानते हो, उसने आचार्य कृपलानी, जार्ज फर्नांडीस और मधु लिमये जैसे लोगों को गले से लगा कर देश को बनाया है.
चंचल
सामाजिक कार्यकर्ता
samtaghar@gmail.com