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खुद में करें आत्मशक्ति का विकास
अगर इंसान जीवन का मूल बात समझ ले, तो वह जिंदगी को बेहतर तरीके से जी सकता है. इंसान अपनी जिंदगी के विकास और पतन का जिम्मेदार खुद होता है. धरती पर इंसान ही एक ऐसा जीव है, जो खुद सृजनकर्ता और पालनकर्ता है. मगर आज लोग बेकार की जिंदगी जीने को उतारू हैं. जीवन […]
अगर इंसान जीवन का मूल बात समझ ले, तो वह जिंदगी को बेहतर तरीके से जी सकता है. इंसान अपनी जिंदगी के विकास और पतन का जिम्मेदार खुद होता है. धरती पर इंसान ही एक ऐसा जीव है, जो खुद सृजनकर्ता और पालनकर्ता है. मगर आज लोग बेकार की जिंदगी जीने को उतारू हैं. जीवन में उतार-चढ़ाव आया नहीं कि, नशीले पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देते हैं.
आज कल लोग अपने दुखों को कम करने के लिए शराब का सेवन करते हैं. लेकिन उन्हें इसका एहसास नहीं होता कि जिस पदार्थ का वह सेवन कर रहे हैं, वह उनके मस्तिष्क को शिथिल कर देता है. इसके अलावा, उसे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है, सो अलग से. आज यदि व्यक्ति जीवन में परेशानी आने या फिर अपने दुखों को कम करने के लिए नशीले पदार्थों के सेवन के स्थान पर आत्मशक्ति को विकसित करे, तो उसका जीवन बहुत हद तक सफल हो सकता है.
इसके साथ ही उनका स्वास्थ्य भी दुरुस्त रहेगा. जो व्यक्ति कष्टों में भी मुसकुराता हुआ नजर आता है, वह भी मनुष्य ही है. मगर नशा का सेवन करने वाले व्यक्ति की अपेक्षा उसकी आत्मशक्ति अधिक मजबूत है. ऐसा नहीं है िक हमेशा मुसकुराने वाले आदमी के जीवन में दुख नहीं आता. उसके जीवन में भी दुख आते हैं. मगर वह उसका मुकाबला करने को हमेशा तत्पर रहता है और हंस कर सभी दुखों को टाल देता है.
गौर करने वाली यह भी है कि दुख आने के बाद जो लोग बीयर बार या अन्य स्थानों की राह पकड़ते हैं, यदि वे श्रम करें, तो उनका दुख खुद-ब-खुद दूर हो जायेगा. विपरीत परिस्थितियों में भी जिसने जीवन को जीना सीख लिया, वही सफल पुरुष कहलाता है. दूसरी बात यह कि अक्सर जीवन के उद्देश्यों से भटके लोग नशे की शरण में जाते हैं. लेकिन यहां भी सोचनीय है कि लक्ष्य से भटकाव व्यक्ति को तोड़ता नहीं जोड़ता भी है.
– विजय अग्रवाल, रांची
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