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सारे अपराधी फांसी के लायक तो नहीं?
अभी कुछ ही दिन पहले याकुब मेमन को फांसी दी गयी. कई लोगों ने इसका विरोध किया. यह विरोध नहीं, बल्कि फांसी को लेकर लोगों का नजरिया था.मैं आतंकवाद के खिलाफ हूं, पर मेरा मानना है कि देश के सारे अपराधी फांसी के लायक तो नहीं हैं? जो अपराधी किसी षडय़ंत्र में शामिल है, उसे […]
अभी कुछ ही दिन पहले याकुब मेमन को फांसी दी गयी. कई लोगों ने इसका विरोध किया. यह विरोध नहीं, बल्कि फांसी को लेकर लोगों का नजरिया था.मैं आतंकवाद के खिलाफ हूं, पर मेरा मानना है कि देश के सारे अपराधी फांसी के लायक तो नहीं हैं? जो अपराधी किसी षडय़ंत्र में शामिल है, उसे भी फांसी की सजा देना कितना जायज है? या किसी को मृत्युर्पयत काल कोठरी में रखना कहां का न्याय है?
महाशय, मेरी समझ से ऐसा करना सरासर गलत होगा. यह बहुत ही क्रूरतापूर्ण दंड है, जिस पर दुनिया के कई देशों में पाबंदी भी लगा दी गयी है. दुख की बात यह है कि भारत जैसे शांतिप्रिय देश में इस प्रकार का दंड सोचनीय विषय है.
मैं यह भी नहीं कहता कि किसी को फांसी न दी जाये, लेकिन उसकी श्रेणी निर्धारित हो. हर प्रकार के अपराध की सजा फांसी ही नहीं हो सकती.
पालूराम हेंब्रम, सालगाझारी
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