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बिना रिश्वत के महीनों टरकाते हैं बाबू
संपादक महोदय, आज केंद्र सरकार भले ही देश में भ्रष्टाचार कम होने का दावा कर रही हो, लेकिन यह कटु सच है कि आज भी यह पहले की ही तरह काम कर रहा है. महाशय, अब तो स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ गयी है. पहले बिहार के बैंकों अथवा प्रखंड कार्यालयों में पखवाड़े या महीने […]
संपादक महोदय, आज केंद्र सरकार भले ही देश में भ्रष्टाचार कम होने का दावा कर रही हो, लेकिन यह कटु सच है कि आज भी यह पहले की ही तरह काम कर रहा है. महाशय, अब तो स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ गयी है.
पहले बिहार के बैंकों अथवा प्रखंड कार्यालयों में पखवाड़े या महीने भर में आम आदमी का बिना रिश्वत दिये काम हो जाता था, लेकिन अब बिना रिश्वत दिये काम ही नहीं चलता. यदि आपको बैंक या प्रखंड कार्यालय में काम कराना हो, तो अव्वल यह कि अधिकारी या कर्मचारी अपनी सीट पर मिलेंगे ही नहीं.
मिलेंगे भी तो अगले महीने आने का बहाना बना कर टरका देते हैं. अगले महीने जाने पर कहा यह जाता है कि आज फलाना बाबू बीमार हैं. ठीक होने पर आपका काम होगा. अब यदि आपने हरे-हरे नोट प्रखंड कार्यालय में जाते ही धरा दिया, तो आपका काम मिनटों में हो जायेगा.
रमेश प्रसाद, दरभंगा
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