23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

स्वार्थो की राजनीति और आंध्र का संकट

आंध्र प्रदेश को विभाजित करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के बाद सीमांध्र में बेमियादी हड़तालों और उग्र प्रदर्शनों ने वहां के 13 जिलों में जनजीवन को अस्त–व्यस्त कर दिया है. बिजलीकर्मियों की हड़ताल के कारण जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर एटीएम से धन निकासी तक पर असर पड़ा है. कई जिलों में पीने के […]

आंध्र प्रदेश को विभाजित करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के बाद सीमांध्र में बेमियादी हड़तालों और उग्र प्रदर्शनों ने वहां के 13 जिलों में जनजीवन को अस्तव्यस्त कर दिया है. बिजलीकर्मियों की हड़ताल के कारण जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर एटीएम से धन निकासी तक पर असर पड़ा है.

कई जिलों में पीने के पानी और पेट्रोल की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है. हालात की गंभीरता के मद्देनजर आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने तक की संभावना जतायी जा रही है. गृह मंत्रलय को डर है कि अगर आंध्र प्रदेश में जीरो गवर्नेस की स्थिति कुछ दिन और बनी रही, तो नक्सलियों को एक बार फिर राज्य में सिर उठाने का मौका मिल सकता है.

सवाल है कि क्या स्थिति को इस तरह बेकाबू होने से रोका जा सकता था? आखिर ऐसी कौन सी जल्दबाजी थी कि बंटवारे का फैसला पहले कर लिया गया, बंटवारे का खाका खींचने के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन उसके बाद किया गया? जिस तरह से तेलंगाना की मांग ऐतिहासिक है और उसके पीछे के तर्क को नकारा नहीं जा सकता, ठीक उसी तरह से बंटवारे को लेकर सीमांध्र की शंकाओं को निमरूल नहीं कहा जा सकता. परंतु जिन आशंकाओं ने तेलंगाना के गठन का रास्ता रोक रखा था, उन्हें दूर किये बिना ही फैसला ले लिया गया.

सीमांध्र की सबसे बड़ी चिंता कृष्णा और गोदावरी के पानी को लेकर है. दोनों तेलंगाना से होकर बहती हैं और भविष्य में इनके पानी के बंटवारे को लेकर विवाद तय है. हैदराबाद का सवाल भी काफी अहम है. यह राज्य का सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक केंद्र है. पूरे आंध्र प्रदेश के लोग यहां नौकरी या शिक्षा हासिल करने के लिए बसे हुए हैं.

आश्चर्यजनक है कि इन चिंताओं को दूर करने और बंटवारे को सुगमतापूर्वक अंजाम देने के लिए जिस तरह की राजनीतिक सूझबूझ की जरूरत होती है, वह कहीं नजर नहीं रही. जहां केंद्र की कांग्रेसनीत यूपीए सरकार सीटों के अंकगणित को साधने में व्यस्त है, वहीं राज्य में कोई तेलंगाना, तो कोई एकीकृत आंध्र प्रदेश के नाम पर अपनीअपनी सियासी किस्मत को चमकाने में जुटा है. इस तरह आंध्र प्रदेश का मौजूदा संकट शासन के मूलभूत सिद्धांतों को राजनीति के नाम पर नजरअंदाज करने का नतीजा कहा जा सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें