।। डॉ भरत झुनझुनवाला ।।
(अर्थशास्त्री)
विपक्ष को चाहिए कि आम आदमी को राहत पहुंचाने का नया कार्यक्रम पेश करे. मौजूदा कार्यक्रमों को बंद करके इस रकम को सीधे गरीब को देने की मांग करनी चाहिए. ऐसा करने से बाजार को सरकार के बढ़ते खर्च का भय जाता रहेगा.
बीते तीन माह से हमारी अर्थव्यवस्था दबाव में है. रुपया लुढ़क रहा है और महंगाई चढ़ रही है. साथ–साथ आम आदमी भी असंतुष्ट है. अर्थव्यवस्था का हाल जो भी हो, आम आदमी को राहत देने में विलंब नहीं किया जा सकता है.
इस दृष्टि से हाल में आये खाद्य सुरक्षा कानून का स्वागत किया जाना चाहिए, परंतु आम आदमी को दी गयी राहत टिकाऊ तभी होगी जब साथ–साथ अर्थव्यवस्था आगे बढ़ती रहे. वर्तमान खाद्य सुरक्षा कानून में समस्या है कि अर्थव्यवस्था पर बोझ बढ़ेगा और संपूर्ण अर्थव्यवस्था के साथ आम आदमी भी तबाह हो सकता है.
इसलिए नेक काम को हाथ में लेने के पहले उसे निर्वाह करने का सामर्थ्य जुटाना चाहिए. लेकिन सरकार के पास खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने का सामर्थ्य नहीं है. अंतरराष्ट्रीय रेटिंग ऐजेंसियां भारत के प्रति पहले ही नकारात्मक हैं. भारत की रेटिंग जंक के ऊपर है. यदि रेटिंग में और गिरावट आयी, तो भारत जंक श्रेणी में आ जायेगा. ऐसे में भारत से विदेशी पूंजी का और तेजी से पलायन होगा.
यूपीए और एनडीए द्वारा लागू किये गये विकास के मॉडल में बड़ी कंपनियों को छूट दी जाती है. ये कंपनियां ऑटोमेटिक मशीनों से सस्ता माल बनाती हैं. कुटीर उद्योग चौपट हो जाते हैं. बेरोजगारी बढ़ती है. फिर इन्हीं बड़ी कंपनियों पर टैक्स लगा कर आम आदमी को बेरोजगारी से राहत दी जाती है.
अर्थव्यवस्था में आती तेजी का एक बड़ा हिस्सा प्रगति के दुष्प्रभावों को काटने में व्यय हो जाता है. यही कारण है कि हमारी अर्थव्यवस्था दबाव में है. खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने से सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा. इस कारण नयी संस्थाओं ने चालू वर्ष की अनुमानित विकास दर को घटा कर 4.5 प्रतिशत के लगभग कर दिया है.
इस समस्या का सर्वश्रेष्ठ समाधान है कि पूंजी सघन उद्योगों पर टैक्स बढ़ाया जाये. जैसे चीनी का उत्पादन बड़ी मिलों में ऑटोमेटिक मशीनों से किया जाता है. खांडसारी उद्योग तुलना में श्रम सघन होता है. ऐसे में चीनी मिलों पर टैक्स बढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से खांडसारी उद्योग चल निकलेगा और रोजगार स्वत: उत्पन्न होने लगेंगे. इस सुझाव में समस्या डब्ल्यूटीओ की है.
चीनी मिल पर टैक्स लगाने से भारत में चीनी का दाम बढ़ जायेगा. दूसरे देशों से सस्ती चीनी आयात करना लाभप्रद हो जायेगा. समाधान है कि आयातों पर इंपोर्ट ड्यूटी में समुचित वृद्घि कर दी जाये.
वर्तमान में गरीबों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा चार बड़े कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं: कृषि समर्थन मूल्य, स्वास्थ और शिक्षा, मनरेगा और फर्टिलाइजर सब्सिडी. इन कार्यक्रमों का उद्देश्य गरीब को राहत पहुंचाना है, परंतु इनमें गरीब का हिस्सा कम ही है.
फूड कॉरपोरेशन को दी जा रही सब्सिडी मुख्यत: कॉरपोरेशन के कर्मियों और बड़े किसानों को ही पहुंचती है. स्वास्थ और शिक्षा पर किये जा रहे खर्च सरकारी टीचरों और डॉक्टरों को पोषित करती है. मनरेगा में सरपंच एवं विभाग का हिस्सा 25 से 75 प्रतिशत तक बताया जा रहा है. फर्टिलाइजर सब्सिडी अकुशल उत्पादकों तथा बड़े किसानों को जा रही है.
सुझाव है कि इन चारों कार्यक्रमों को बंद कर दिया जाये. इससे केंद्र सरकार को 362 हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष की बचत होगी. इस रकम को बीपीएल कार्ड धारकों को सीधे दे दिया जाये. 80 करोड़ गरीबों में प्रत्येक को 4500 रुपये प्रति वर्ष मिल जायेंगे. पांच व्यक्तियों का परिवार मानें, तो 22,500 प्रति वर्ष या लगभग 2,000 रुपये प्रति माह मिल जायेंगे.
इसके लिए केंद्र सरकार को एक रुपया भी अतिरिक्त नहीं खर्च करना पड़ेगा. इसके अतिरिक्त राज्य सरकारों द्वारा लगभग 360 हजार करोड़ इन मदों पर खर्च किये जा रहे हैं. इस रकम को जोड़ लें, तो प्रत्येक बीपीएल परिवार को 5,000 रुपये प्रति माह दिये जा सकते हैं. यह विशाल राशि वर्तमान में गरीब के नाम पर सरकारी कर्मियों, अकुशल उत्पादकों, बड़े किसानों और अमीरों को दी जा रही है. इसे गरीब तक पहुंचा दें, तो समस्या हल हो जायेगी.
सरकार ने जो उपाय किया है वह तीसरे स्तर का निकृष्ट है. इससे बड़ी कंपनियों द्वारा छोटे लोगों के रोजगार छीने जाते हैं. इसलिए विपक्ष को चाहिए कि आम आदमी को राहत पहुंचाने का नया कार्यक्रम पेश करे. चारों कार्यक्रमों को बंद करके इस रकम को सीधे गरीब को देने की मांग करनी चाहिए. ऐसा करने से बाजार को सरकार के बढ़ते खर्च का भय जाता रहेगा.
सरकार को खर्च पोषित करने के लिए भारी मात्र में अतिरिक्त ऋण नहीं लेने पड़ेंगे. सरकार का वित्तीय घाटा नियंत्रण में आयेगा. सरकार को देश के उद्यमियों पर अतिरिक्त टैक्स नहीं लगाना पड़ेगा. उद्यमियों को राहत मिलेगी. उत्पादन बढ़ेगा. सरकार को टैक्स ज्यादा मिलेगा और रुपया संभल जायेगा. जनता भी खुशहाल होगी.