23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मैगी के बहाने मौत को दावत

पिछले कई वर्षो से आधुनिक भारतीयों के घरों में मैगी एक फास्ट फूड के रूप में प्रचलित रहा है. छोटे बच्चे बड़े चाव से इसे खाना पसंद करते हैं, जबकि उसमें पोषक तत्व नाममात्र के रहते हैं. अभिभावक भी बच्चों की जिद के आगे झुक जाते हैं. लेकिन हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं […]

पिछले कई वर्षो से आधुनिक भारतीयों के घरों में मैगी एक फास्ट फूड के रूप में प्रचलित रहा है. छोटे बच्चे बड़े चाव से इसे खाना पसंद करते हैं, जबकि उसमें पोषक तत्व नाममात्र के रहते हैं. अभिभावक भी बच्चों की जिद के आगे झुक जाते हैं.
लेकिन हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा देश भर में कराये जा रहे मैगी के सैंपलिंग में इसमें खतरनाक केमिकल होने की बात सामने आयी है. नियमत: न सिर्फ मैगी की बिक्र ी पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए बल्कि उसके निर्माता कंपनी पर केस भी होना चाहिए क्योंकि इससे उपभोक्ताओं के जीवन और स्वास्थ्य साथ खिलवाड़ करने का प्रयास किया गया है.
वैसे, बात सिर्फ मैगी की नहीं है. जितने भी फास्ट फूड आज बाजार में नजर आते हैं, उनमें कुछ ऐसे केमिकल प्रयुक्त होते हैं जो सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं. इन आहारों में प्रमुखत: मोनोसोडियम ग्लूटामेट और लेड (सीसा) जैसे हानिकारक तत्व शामिल रहते हैं. इसके नियमित सेवन से पेट संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं.
साथ ही न सिर्फ बच्चों में असमय मोटापा आता है, बल्कि उनमें तनाव, अवसाद और चिड़चिड़ापन भी घर कर जाता है. चूंकि हमारे दिमाग को विज्ञापनों ने सम्मोहित कर रखा होता है इसलिए हम ‘टेस्टी भी और हेल्दी भी’ पर विश्वास कर लेते हैं. लेकिन जरूरत ही क्या है इसकी? भारतीय घरों और बाजारों में पोषक तत्व वाले आहारों की भरमार है.
हमें याद रखना होगा कि हमारी पिछली पीढ़ियों ने बिना किसी फास्ट फूड के सेवन के सौ वर्षो की जिंदगी बड़े आराम से गुजारी है लेकिन तथाकथित आधुनिकता और हैसियत दिखाने के लिए बच्चे और अभिभावक पश्चिमी देशों के इन जहरीले आहारों को प्राथमिकता दे रहे हैं. जरूरत है चिंतन की.
सुधीर कुमार, गोड्डा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें