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तब तो निरंकुश हो जायेंगे अधिकारी

जैसा कि समाचारों में इस बात की चर्चाएं आम हो चली हैं कि अखिल भारतीय सेवा के किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई करने के पहले केंद्र से जरूरी मंजूरी ली जाये, इस प्रकार का नियम केंद्र सरकार बनाने जा रही है. लेकिन, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आइएएस अफसरों के निलंबन एवं तबादले संबंधी नियमों में बदलाव […]

जैसा कि समाचारों में इस बात की चर्चाएं आम हो चली हैं कि अखिल भारतीय सेवा के किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई करने के पहले केंद्र से जरूरी मंजूरी ली जाये, इस प्रकार का नियम केंद्र सरकार बनाने जा रही है. लेकिन, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आइएएस अफसरों के निलंबन एवं तबादले संबंधी नियमों में बदलाव करने की जरूरत नहीं है.

इस मामले में राज्य सरकारों के हाथ बांधने की कोशिश बिल्कुल गलत है. राज्य सरकारों पर इस तरह का अंकुश लगाना उनके अधिकारों का हनन होगा. इसके साथ ही राज्यों में प्रतिनियुक्त आइएएस निरंकुश हो जायेंगे. वे इतना स्वच्छंद हो जायेंगे कि राज्य सरकारों का उनके साथ काम करना मुश्किल हो जायेगा.

वर्तमान में ही आइएएस अफसरों को असीमित अधिकार मिले हुए हैं. उत्तर प्रदेश में एक दुर्गाशक्ति नागपाल के निलंबन कर दिये जाने के बाद राज्य सरकारों के हाथ बांधने की कोशिश गलत होगी. राज्य सरकारों का आइएएस अफसरों पर नियंत्रण रहना ही चाहिए. यदि राज्य सरकारें अफसरों के साथ नाइंसाफी करती है, तो देश की जनता के साथ-साथ मीडिया जगत तो आवाज बुलंद करने के लिए है ही तैयार, जैसा कि दुर्गाशक्ति निलंबन प्रकरण में देखने को मिला. दुर्गाशक्ति का मामला कई दिनों तक मीडिया में छाया रहा. उनके पक्ष में बहुत से लोग खड़े हुए.

अगर अफसर ईमानदार है, तो कोई भी राज्य सरकार या कोई बड़ा से बड़ा प्रभावशाली नेता उनके साथ गलत नहीं कर सकता. यदि गलत करेगा, तो खुद ही मुंह की खायेगा. किंतु शर्त है अधिकारियों के ईमानदार रहने की. इसलिए वर्तमान में आइएएस अफसरों के लिए जो सेवा नियमावली है, उसमें संशोधन की कोई जरूरत नहीं.

विजय आनंद, गुमला

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