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विदा करने की बेसब्री में वो औरतें

सुबह छह बजे की ट्रेन थी. दरभंगा जिले के महथौर गांव से सकरी रेलवे जंक्शन पहुंचने में सड़क मार्ग से कम से कम एक घंटे लगते, इसीलिए तड़के साढ़े चार बजे ही घर से रवानगी हुई. हम कई गांवों से गुजरते हुए सकरी जंक्शन पहुंचनेवाले थे. मामाजी के चारपहिया वाहन की रोशनी और उसकी फटी […]

सुबह छह बजे की ट्रेन थी. दरभंगा जिले के महथौर गांव से सकरी रेलवे जंक्शन पहुंचने में सड़क मार्ग से कम से कम एक घंटे लगते, इसीलिए तड़के साढ़े चार बजे ही घर से रवानगी हुई. हम कई गांवों से गुजरते हुए सकरी जंक्शन पहुंचनेवाले थे. मामाजी के चारपहिया वाहन की रोशनी और उसकी फटी हुई आवाज दूर-दूर तक फैल रही थी. मैं अरसे बाद या शायद पहली बार इस तरह अधूरी नींद में अलस्सुबह गांव के उन रास्तों से गुजर रहा था. कुछ देर तक सुनसान रास्तों से गुजरने के बाद, अपने घरों से निकलतीं और तेजी में एक गंतव्य की ओर जाती महिलाएं सड़क पर दिखने लगीं.

इसके बाद जैसे ही कोई दूसरा गांव आता, फिर यही नजारा दिखने लगा. हमारा वाहन एक गांव से दूसरे गांव होते हुए स्टेशन की ओर बढ़ रहा था. अब सड़क के दोनों किनारे खेत और बगीचे थे और बीच-बीच में सड़क पर खड़ी वो महिलाएं, जो वाहन की रोशनी की जद में आते ही सकपकायी सी एक मुद्रा में खड़ी हो जातीं और हमें घूरने लगतीं. मानो वह हमें विदा करने की बेसब्री में हों. करीब आधे घंटे तक हर दस कदम की दूरी पर एक महिला उसी मुद्रा में दिख रही थी. धीरे-धीरे बेअसर होती वाहन की रोशनी और सूरज उगने से पहले फैलती किरणों के साथ वो अपने घरों को लौटने लगीं. मेरी नींद उड़ चुकी थी.

दरअसल, ये महिलाएं खुले में शौच के लिए गयी हुई थीं. उनमें नवविवाहिता, अधेड़, बुजुर्ग से लेकर लगभग हर उम्र की महिलाएं थीं, जो मर्दो के जागने से पहले, पौ फटने से पहले जाग जाती हैं. आज भी रोज अपनी गरिमा, अपनी मर्यादा से समझौता कर खेतों में और सड़कों के किनारे शौच करने को मजबूर हैं. न जाने हमारी तरह कितने लोग रोज उन रास्तों से गुजरते होंगे, जब उनके चेहरे पर वाहनों की रोशनी पड़ती होगी और वो अपनी लाज को आंखों में समेटे हुए घूर रही होती होंगी. यह शर्म की बात है कि 65 साल के इस गणतंत्र में आज भी इतनी बड़ी तादाद में गांव की महिलाएं इस तरह से खुले में शौच को जाती हैं. 1986 से अब तक शौचालय बनाने पर 18 हजार करोड़ रु पये खर्च हो चुके हैं. यह रकम भारत के मिशन मंगल पर खर्च से 40 गुना ज्यादा है. इसके बावजूद खुले में शौच करनेवालों में सबसे ज्यादा भारतीय हैं.

2011 की जनगणना के मुताबिक देश भर में 53} घरों में शौचालय नहीं हैं. झारखंड के 92}, ओड़िशा के 85.9}, छत्तीसगढ़ के 85.5}, बिहार के 82.4}, राजस्थान के 80.4} और उत्तर प्रदेश के 78.2} घरों में शौचालय नहीं हैं. हालांकि नरेंद्र मोदी सरकार ने सन 2015 तक दो करोड़ शौचालय बनाने और अगले पांच सालों में सफाई अभियान व शौचालयों पर एक लाख 90 हजार करोड़ रु पये खर्च करने का वादा किया है. सरकार का लक्ष्य 2022 तक खुले में शौच की समस्या को खत्म करना है. देखिये क्या होता है?

राहुल मिश्रा

प्रभात खबर, कोलकाता

mishra21rahul@gmail.com

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