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पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे के हैं पूरक

किसी लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए एक विवेकी और सहृदयी विपक्ष का होना बहुत ही जरूरी होता है. आज विपक्ष सिर्फ विरोध करता है. सरकार की नीतियों को सही-गलत के तराजू में तौल कर अपनी राय देने का काम विपक्ष का होता है, न कि शोर-शराबा के माध्यम से संसद को अखाड़ा बना कर […]

किसी लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए एक विवेकी और सहृदयी विपक्ष का होना बहुत ही जरूरी होता है. आज विपक्ष सिर्फ विरोध करता है. सरकार की नीतियों को सही-गलत के तराजू में तौल कर अपनी राय देने का काम विपक्ष का होता है, न कि शोर-शराबा के माध्यम से संसद को अखाड़ा बना कर शक्ति का प्रदर्शन करना.

जो विपक्ष में हैं, उनके पास भी विवेक और विचार होते हैं. उनके पास सही मूल्यांकन की भी क्षमता होती है. सत्ता पक्ष के लोगों को भी विपक्ष की बातों को गौर से सुन कर देश और जनहित में निर्णय लेना चाहिए.

मगर आज देश और जनहित को ताक पर रख कर सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से फैसले लिये जा रहे हैं. संसद में हंगामा खड़ा करके देश के पैसे को बर्बाद किया जा रहा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष को यह समझना होगा, क्योंकि ये एक-दूसरे के पूरक हैं.

करुणा पांडेय, ई-मेल से

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