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बहन के जन्म पर खुश हूं, साथ ही चिंतित भी

।।राहुल मिश्र।।(प्रभात खबर, कोलकाता)पिछले दिनों गांव से मामाजी का फोन आया. वह बहुत खुश थे. दो बेटों के बाद बेटी जो हुई थी. घर के सभी लोग बेटी की ही उम्मीद लगाये हुए थे. सभी ने खुशखबरी सुनते ही भगवान को धन्यवाद कहा. संयोग देखिए कि दोनों भाइयों को बहन रक्षाबंधन की अगली सुबह ही […]

।।राहुल मिश्र।।
(प्रभात खबर, कोलकाता)
पिछले दिनों गांव से मामाजी का फोन आया. वह बहुत खुश थे. दो बेटों के बाद बेटी जो हुई थी. घर के सभी लोग बेटी की ही उम्मीद लगाये हुए थे. सभी ने खुशखबरी सुनते ही भगवान को धन्यवाद कहा. संयोग देखिए कि दोनों भाइयों को बहन रक्षाबंधन की अगली सुबह ही मिली. मैं भी बहुत खुश हुआ कि अगले साल से मेरी कलाई पर एक और राखी सजेगी. लेकिन साथ ही साथ कुछ चिंताएं भी घर करने लगती हैं. हमारी संस्कृति में स्त्रियों के मान-सम्मान की महिमा खूब गायी जाती है, पर हालात ऐसे हैं कि उनकी सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंता लगी रहती है. आज भी उनकी राहों में इतने कांटे बिखरे हुए हैं, जो कभी भी उनकी खुशियों, उनके सपनों को लहूलुहान कर सकते हैं.

मेरे कई मित्र हैं, जिनकी बहनों की इस साल शादी हो जायेगी. उन्हें अपनों को छोड़ पराये घर में जाना होगा. मां-बाप, भाई-बहनों से दूर बाकी जिंदगी बितानी होगी. मेरे दोस्तों को चिंता सताती है कि क्या दूर जाने के बाद उनकी लाडली उतनी खुश रहेगी? अगर वहां उस पर जुल्म हुआ, तो कौन बचायेगा? ससुराल में दहेज हत्या, प्रताड़ना की खबरें उन्हें विचलित कर देती हैं. मैं भी परेशान हो जाता हूं. खबरें तो ऐसी आती हैं कि रूह तक कांप उठे. पिछले दिनों कोलकाता में फ्लाईओवर के नीचे परिवार के साथ सो रही तीन वर्षीय बच्ची से बलात्कार के बाद गर्दन मरोड़ कर हत्या कर दी गयी. एक रेलवे ट्रैक पर शौच के लिए गयी बच्ची से दुष्कर्म की कोशिश के बाद उसे आग लगा दी गयी, बाद में अस्पताल में तड़प कर बच्ची ने दम तोड़ दिया. पत्नी ने सेक्स से मना कर दिया, तो पिता ने मासूम बेटी से बलात्कार किया. यहां तक कि लाखों लोग जिसे भगवान बना कर पूजते हैं, ऐसे एक संत ने आश्रम में बच्ची का यौन शोषण किया. मासूम बच्चियों संग ऐसे वहशीपन की कल्पना शायद इनसान को बनाते वक्त भगवान ने भी न की होगी. पिछले कुछ वर्षो से देश में छोटी-छोटी बच्चियों पर यौनाचार के मामले काफी बढ़े हैं. अब भी देश में हजारों बच्चियां मां के गर्भ में ही मार दी जाती हैं. ऐसे सैकड़ों मामले हैं, जहां अपने ही घर में बच्चियां अरसे से यौन शोषण ङोल रही होती हैं, जो हद पार होने पर सामने आ जाते हैं.

अब और कितना गिरेंगे हम? अबोध बच्चियों को प्यार-दुलार की जगह उन्हें बलात्कार कर जख्म दे रहे हैं. ऐसा क्या हो गया कि छोटी बच्ची-बेटियों-बहनों को देख प्रेम-स्नेह की भावना की जगह दिमाग में गंदी सोच आती है. जो भी वजह हो. उस पर काबू पाना होगा. इनसान हैं हम, ऐसे विचारों को जेहन में आने से रोकना होगा. कसम खानी होगी कि हम अपनी बच्चियों-बहनों की रक्षा करेंगे. किसी की रक्षा करने में मर्दानगी है, बलात्कार करने में नहीं.

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