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कड़ी निगरानी से बनेगी बात

* भ्रष्ट लोगों पर शिकंजा एक दौर रहा होगा, जब लोग भ्रष्टाचार को कोढ़ से भी बुरा मानते होंगे. भ्रष्टाचारियों से दूरी बनाये रखने में न केवल अपनी भलाई समझते होंगे, बल्कि उन्हें समाज से अलग करने में गर्व महसूस करते होंगे. मौजूदा दौर में स्थिति बिल्कुल विपरीत लग रही है. अब तो देश–विदेश में […]

* भ्रष्ट लोगों पर शिकंजा

एक दौर रहा होगा, जब लोग भ्रष्टाचार को कोढ़ से भी बुरा मानते होंगे. भ्रष्टाचारियों से दूरी बनाये रखने में केवल अपनी भलाई समझते होंगे, बल्कि उन्हें समाज से अलग करने में गर्व महसूस करते होंगे. मौजूदा दौर में स्थिति बिल्कुल विपरीत लग रही है. अब तो देशविदेश में भ्रष्टाचार को जीवन का हिस्सा बताया जाने लगा है.

भ्रष्ट आचारण करनेवाले समाज में विशिष्ट स्थान पा रहे हैं. सम्मानित किये जा रहे हैं. मंच से उनका महिमामंडन हो रहा है. यह घोर चिंता की बात है. मौजूदा पीढ़ी के लिए तो है ही, आनेवाली पीढ़ियों के लिए भी यह चिंताजनक है. हालांकि, आज भी समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो भ्रष्टाचार को अवांछित और भ्रष्टाचारियों को अस्पृश्य मानते हैं. पर, इन्हें निर्मूल करने के ठोस उपाय खोजे बिना बात नहीं बननेवाली. इसमें समाज की एक बड़ी भूमिका तो है ही, प्रशासन का रोल भी अहम है.

राहत की बात है कि हाल के वर्षो में इस दिशा में काफी प्रगति हुई है. खास कर बिहार में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जो अभियान चलाये गये हैं, उनसे केवल सूबे के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि प्रदेश की चहारदीवारी के बाहर भी बिहार की छवि निखरी है. भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई में तेजी आने के साथ ही ऐसे तत्वों द्वारा लूटी गयी पब्लिक प्रॉपर्टी की बरामदगी का जो सिलसिला हाल में दिखा है, वह निश्चित तौर पर प्रशंसनीय है.

बिहार के गोपालगंज और वैशाली से एक ही दिन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई की दो खबरें काफी राहत देनेवाली हैं. एक ओर जहां लापरवाह शिक्षकों पर कार्रवाई हुई है, वहीं दूसरी तरफ कानून को धता बतानेवाले कानून के एक रखवाले के खिलाफ ही कदम उठा है. कहीं गैर जिम्मेवारीपूर्ण आचरण करनेवाले 41 लोगों की नौकरियां गयी हैं, तो कहीं नियमकानून की धज्जियां उड़ानेवालों को गिरफ्तार करने की हैसियत रखनेवाला एक शख्स खुद ही गिरफ्तार हो गया है.

इनसे एक ओर जहां आमलोगों को सूबे में बेहतर प्रशासन का आश्वासन मिलता है, तो दूसरी ओर भ्रष्टचारियों को कड़ी चेतावनी. अगर इस तरह की कार्रवाइयां निरंतर जारी रहें, तो भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसना बहुत मुश्किल नहीं होगा.

मानना होगा कि निचले स्तर से लेकर शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों तक के खिलाफ हाल में हुई कार्रवाई से भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को काफी बल मिला है. जरूरी है कि हर स्तर पर कड़ी निगरानी जारी रहे, ताकि भ्रष्टाचार में आस्था रखनेवालों का मनोबल टूट सके.

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