ऋषव मिश्र ‘कृष्ण’
प्रभात खबर, भागलपुर
रिक्शा पड़ाव का दृश्य है. अपने नंबर की सवारी के इंतजार में सरधुवा रिक्शे पर बैठ कर सुस्ता रहा है. मन ही मन सोच रहा है कि रिक्शा चलाने में भी अब कितना कांपिटशन हो गया है. बीस रिक्शा खुलेगा तो 21 वां नंबर उसका है. दोपहर का समय हो गया अब तक बस एक सवारी मिली है. 30 रु पया कमा पाया है.
शाम तक रहा, तो 150 रु पये कमा लेगा. लेकिन इतने में क्या होगा. ऊपर से नुनिया की मम्मी तो तबाह करके रखे है. घर जाते ही कहानी लेकर बैठ जाती है सबसे पहले कहेगी कितनी देर हो गयी! सारा सामान लाये हो कि नहीं! मेरे तो भाग्य ही खराब थे जो तुम्हारे साथ बियाह हुआ. बाबूजी कहते थे लड़का मेहनती है, भूखा नहीं रखेगा यहां तो….. और हां नुनवा की टोपी लाये हो कि नहीं! ठंड कितनी है कान में गमछा बांध कर स्कूल जाता है और हां नुनिया के साइकिल का टायर कमजोर हो गया है.
बार-बार पंचर हो जाता है. आज कल पैदल ही स्कूल जा रही है. यह सोचते-सोचते सरधुवा उस दिन को याद करता है, जब बाबा बेत्तर के दरवाजे पर सब लोग पेपर पढ़ रहे थे. उस समय मन कितना गदगद हो गया था जब सुना था कि एक गारंटी नाम की योजना है. दो रु पया किलो गेंहू और तीन रु पया किलो चावल मिलेगा. घर में जितनी मुंडी, उतना पांच किलो. बीते दिनों को याद करते ही सरधुवा के चेहरे का भाव बदल जाता है.
चेहरे पर हल्की मुस्कान आती है. बगल वाले रिक्शा चालक मधुवा उसके हाव-भाव देख कर चुटकी लेता है, क्यों सरधु भाई आज कल मस्ती में दिख रहे हो क्या बात है. सरधुवा की तंद्रा भंग होती है. मधुवा से बोलता है-क्या भाई हम क्या मस्ती में रहेंगे, अच्छा, ये बताओ गारंटी योजना वाला राशन तुमको मिलता है क्या! मधुवा बोलता है नहीं भाई मेरा कार्ड कहां बना है. लेकिन वैसे लोगों का बना, जो अनाज बेच रहे हैं. तुम्हारा तो नाम था तुमको तो राशन मिला न! सरधुवा बोलता है, नहीं रे भाई ! मेरा नाम था, कार्ड हमको दिया कहां!
राशन लेने गये तो वहां से भगा दिया. पता चला कि हमारे नाम का राशन कोई और ले गया. सबसे कहा लेकिन राशन मिला नहीं. मधुवा सलाह देता है शिकायत क्यों नहीं करते साहब के दफ्तर में! सरधुवा कहता है राशन मिल जाने की गारंटी है क्या! जवाब मिला गारंटी कौन देगा भैया. तभी सामने वाले चाय की दुकान से बाबा बेत्तर निकलते हैं. सरधुवा बाबा बेत्तर के पास जाकर दुखनामा सुनाता हैं. बाबा बोले लूट हो रहा है लूट ! 15 तारीख को जिला में धरना है पूरे परिवार के साथ वहां आना.
ईट से ईंट बजा देंगे. सरधुवा पूछता है बाबा उ धरना होने के बाद राशन मिलने की गारंटी है क्या! बाबा तिलमिला उठते हैं, चलो हटो जाओ रिक्शा चलाओ. सरधुवा लौट कर मधुवा के पास आता है. ई गारंटी योजना का कोई गारंटी नहीं दे रहा है. लेकिन भाई तीन रिक्शा खुलने के बाद हमरे रिक्शा के नंबर की तो गारंटी है. मधुवा बोलता है हां भैया इसका गारंटी तो हम भी दे सकते हैं. दोनों हंस पड़ते हैं.