21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सख्ती से लागू हों फैसले

* चेता स्वास्थ्य विभाग सारण में मिड-डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत ने न सिर्फ बिहार की जनता को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि इसके बाद देश में इस योजना की खामियां व परिणामस्वरूप बच्चों के बीमार पड़ने की घटनाएं लगातार सुखिर्यो में हैं. इसी से जुड़ी है स्वास्थ्य सेवा की स्थिति. […]

* चेता स्वास्थ्य विभाग

सारण में मिड-डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत ने न सिर्फ बिहार की जनता को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि इसके बाद देश में इस योजना की खामियां व परिणामस्वरूप बच्चों के बीमार पड़ने की घटनाएं लगातार सुखिर्यो में हैं. इसी से जुड़ी है स्वास्थ्य सेवा की स्थिति.

सारण की घटना के बाद स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर, जिला अस्पताल व पटना के पीएमसीएच की कमजोर व्यवस्था भी उजागर हुई. इसके बाद राज्य सरकार ने तेजी दिखाते हुए गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा की. समीक्षा बैठक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई और इसमें कई बड़े फैसले लिये गये.

इनमें पीएचसी में 24 घंटे डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने से लेकर जिला अस्पतालों के उन्नयन की बातें शामिल हैं. इसके साथ ही राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटें बढ़ाने के लिए इन्हें जरूरी स्तर तक विकसित करने का भी फैसला लिया गया. डॉक्टरों को निर्देश दिया गया कि वे ब्रांडेड के बजाय जेनरिक दवाएं लिखें.

इसकी मॉनीटरिंग के लिए डॉक्टरों के पुरजे कंप्यूटराइज्ड होंगे, जिससे पता चल सकेगा कि डॉक्टर ने स्टोर में दवा रहते हुए किसी मरीज को बाहर से दवा खरीदने के लिए मजबूर तो नहीं किया. सरकार के ये सारे निर्णय बेहद सराहनीय हैं, पर असली सवाल इन निर्णयों का क्रियान्वयन है. कई बार निर्णय लिये जाते हैं, पर उसके अमल में सरकारी मशीनरी खुद ही अड़चन बन जाती है.

देश में पिछले कई वर्षो से सार्वभौम स्वास्थ्य सेवा (यूएचसी) की चर्चा होती रही है, पर जैसे-जैसे इसकी चर्चा बढ़ी है, वैसे -वैसे विश्वास का संकट भी बढ़ा है. संकट के एक छोर पर मरीज हैं, तो दूसरे छोर पर डॉक्टर व सरकारी अस्पताल हैं. योजना आयोग ने उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह गठित किया , जिसने स्वास्थ्य क्षेत्र में 12 वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक खर्च को बढ़ा कर जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक करने का सुझाव दिया.

राज्य के सभी पीएचसी को मानवीय सम्मान के अनुरूप विकसित करने के लिए बड़ी धनराशि की जरूरत होगी और इसके लिए सरकार को निश्चित तौर पर केंद्र पर विशेष मदद के लिए दबाव बनाना चाहिए, पर इससे राज्य की अपनी आंतरिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने का महत्व कम नहीं हो जाता.

सबसे जरूरी है, फैसलों के अमल की बाधाओं को चिह्न्ति करना. अगर वे नीतिगत हैं, तो उनमें बदलाव करना और अगर इसमें किसी का स्वार्थ है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करना. इन दोनों स्तरों पर कार्रवाई हुई, तो स्थितियों में निश्चित बदलाव आयेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें