जनता और देश की शीर्ष राजनीतिक पार्टी की उम्मीदों के अनुरूप झारखंड में सरकार का गठन हो गया है. यहां पहली बार गैर आदिवासी समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाया गया है. राज्य के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है. भाजपा के आक्रामक चुनाव प्रचार को सफल कहा जा सकता है, परंतु वह आंतरिक द्वंद्व से सशंकित है.
वहीं, जिस बाप-बेटे के विरुद्ध मोदीजी आग उगलते रहे, चुनाव में उनका कोई नुकसान नहीं हुआ. यह भी पहली बार हुआ कि राजद और जदयू को झारखंड ने नकार दिया और उनका खाता तक नहीं खुल सका. कुल मिला कर जनता ने स्थिर सरकार देकर राज्य को विकास की पटरी पर दौड़ाने की कमान भाजपा को सौंप दी है, लेकिन ध्यान देने की बात यह होगी कि यहां के निवासियों का विस्थापन व पलायन रुकेगा या नहीं?