* मिड-डे मील से मौतें
मिड-डे मील का विचार देश में बहुत पुराना है. 1925 में सबसे पहले मद्रास म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने अपने स्कूलों में दोपहर का भोजन देने का निर्णय लिया. वैसे इसे पूरे देश में 1995 में लागू किया गया.
समय-समय पर इस कार्यक्रम की सफलता के लिए संशोधन किये जाते रहे, पर एक सवाल आज तक बना हुआ है, वह है भोजन की गुणवत्ता. यह गुणवत्ता कभी यूनिसेफ, वर्ल्ड बैंक और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के मानकों के अनुसार तो नहीं ही हुई, खुद अपने देश के साधारण मानकों पर भी खरा नहीं उतरी.
भोजन में कंकड़ व कीड़े मिलने की घटनाएं आम हैं, पर मंगलवार को बिहार के सारण के मशरक में जो हुआ, उसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. यहां एक साथ 22 बच्चों की मौत हो गयी. घटना जितनी बड़ी थी, हमारा सिस्टम उतनी जल्दी सक्रिय नहीं हो पाया. बीमार बच्चों को छपरा सदर अस्पताल तक पहुंचाने में काफी समय लगा, जिस बस से बच्चों को छपरा भेजा गया, रास्ते में उसका डीजल खत्म हो गया.
छपरा सदर अस्पताल में भी जितनी तैयारी होनी चाहिए थी, उसका अभाव दिखा. उसके बाद बच्चों को पटना भेजा गया. इसी बीच घटना को लेकर राजनीति भी शुरू हो गयी. राजद व भाजपा ने राज्य सरकार को जिम्मेवार बताते हुए सारण बंद किया. राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तो एक-दो दिनों में ठंडा पड़ जायेगा, पर मिड-डे मील की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, आपात स्थितियों से निबटने में प्रदेश के अस्पतालों को सक्षम बनाने, संबंधित अधिकारियों को ऐसी स्थिति में तुरंत सक्रिय करने व कारगर व्यवस्था करने का सवाल बना रहेगा.
इस पूरी स्थिति पर राज्य सरकार को निर्णय लेने होंगे. मशरक की घटना के जिम्मेवार लोगों को कड़ी सजा देनी होगी. मिड-डे मील की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए मॉनीटरिंग सिस्टम को दुरुस्त करना होगा. सरकारी अधिकारियों की जिम्मेवारी तय करने के साथ ही पंचायतों, गैर सरकारी संगठनों और समाज की किसी संभावित भूमिका की भी तलाश की जानी चाहिए.
प्रदेश के अस्पतालों को भी आपात स्थितियों के मद्देनजर हर समय तैयार रहने के लिए जरूरी व्यवस्था करनी होगी. और निश्चित रूप से चूंकि यह योजना केंद्र प्रायोजित है, इसलिए केंद्र सरकार को भी इस दृष्टि से नीतियां तैयार करनी होंगी. उन्हें कार्यान्वित करना होगा. हर स्तर पर कमजोरियों को दूर करने के उपाय करने होंगे, तभी हम बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य व बेहतर शिक्षा, जिसके लिए यह मिड- डे मील योजना शुरू की गयी है, के लक्ष्य को पा सकेंगे.