झारखंड में रघुवर दास के नेतृत्व में नयी सरकार ने शपथ ले ली है. सरकार ने काम-काज भी संभाल लिया. कैबिनेट की पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं. छोटे-छोटे अपराधों में वर्षो से जेल में बंद आदिवासी, पिछड़ी जाति के लोगों और गरीबों के मामलों की समीक्षा का फैसला लिया गया है.
फिलहाल इससे संबंधित आंकड़े मांगे गये हैं. नौकरियों की रिक्तियों को भरने के लिए कदम उठाये गये हैं. सामाजिक सुरक्षा का दायर भी बढ़ा दिया गया है. अब सभी विधवाओं को पेंशन मिलेगी. बैठक में भ्रष्टाचार-मुक्त पारदर्शी सरकार देने का संकल्प लिया गया है. सरकार ने काम-काज के पहले दिन ही अपनी मंशा जता दी है. काम करने की इच्छाशाक्ति दिखा दी है. सरकार के पहले दिन के काम-काज से लगता है कि राज्य की उन्नति और जनता के हित में कई ठोस निर्णय आनेवाले दिनों में लिये जा सकते हैं. यह सुखद संकेत है.
14 सालों से कई ऐसे कल्याणकारी फैसले लंबित थे, जिससे राज्य और राज्य के लोगों का भला होता. स्थायी और बहुमत की सरकार नहीं बनने से इन पर अमल नहीं हो पा रहा था. कहीं न कहीं दबाव की राजनीति या गंठबंधन में मतभेद का खमियाजा जनता भुगत रही थी. पर, नयी सरकार को पूर्ण बहुमत है. काम करने की पूरी आजादी. सरकार बिना दबाव में आये फैसले लेने में पूरी तरह सक्षम है. उन निर्णयों को अमलीजामा पहनाने का सामथ्र्य भी रखती है, जो तत्कालीन हितों को दरकिनार कर दीर्घकालिक परिणाम देकर राज्य की दशा और दिशा बदल सकें. जनता को इस सरकार से यही उम्मीद है.
सरकार के पास भी मौका है, राज्य को नये सिरे से गढ़ने का. लोगों में अपनी पैठ बनाने का. झारखंड को विकास के नये शिखर पर ले जाने और भ्रष्टाचार और उससे लगे दाग से मुक्ति दिलाने का. लोगों को भी इस सरकार से काफी उम्मीदें हैं. लोगों ने इसी उम्मीद और विश्वास के साथ पहली बार बहुमत की सरकार बनायी है. इन उम्मीदों पर खरा उतरने का. संभव है, इस नयी सरकार के आने से राज्य में कई बड़े बदलाव दिखे. कुछ कठोर फैसले भी लेने होंगे. अब देखना यह है कि राज्य को नये सिरे से गढ़ने और अपेक्षित विकास के लिए सरकार किस हद तक जा सकती है.