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अमेरिका में दीवाली के कुछ रंग

दीवाली उत्सव अमेरिका के साथ ही लगभग पूरे विश्व में मनाया जाने लगा है. अमेरिका में विभिन्न समुदायों द्वारा ऐसे कार्यक्रम हर साल आयोजित होते हैं, ताकि नयी पीढ़ी को भारत की सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराया जा सके. भारतीय परंपरा के अनुसार रोशनी ज्ञान का प्रतीक है, जो अज्ञानता के अंधेरे को मिटा देती […]

दीवाली उत्सव अमेरिका के साथ ही लगभग पूरे विश्व में मनाया जाने लगा है. अमेरिका में विभिन्न समुदायों द्वारा ऐसे कार्यक्रम हर साल आयोजित होते हैं, ताकि नयी पीढ़ी को भारत की सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराया जा सके.

भारतीय परंपरा के अनुसार रोशनी ज्ञान का प्रतीक है, जो अज्ञानता के अंधेरे को मिटा देती है. दीवाली हिंदू नव वर्ष के साथ-साथ रोशनी का त्योहार है. अमेरिकी विश्वविद्यालय परिसरों में वार्षिक दिवाली उत्सव सबसे लोकप्रिय उत्सवों में से एक बन गया है. अमेरिका में भारतीय छात्र संघ द्वारा भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और इसका संदेश लोगों तक पहुंचाने के लिए, इसे प्रत्येक वर्ष बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है.

इस उत्सव में पारंपरिक भारतीय नृत्य दिखाने के लिए छात्र दो महीने पहले से ही अभ्यास करना शुरू कर देते हैं. दीवाली शो एक कहानी की पृष्ठभूमि पर आधारित होता है. जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे नृत्य का कार्यक्रम भी आगे बढ़ता जाता है. इस दिन अपनी संस्कृति की कहानी जानने, उसकी प्रशंसा सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि टिकट खिड़की खुलने के एक घंटे के अंदर सारे टिकट बिक जाते हैं. एक बहुत बड़ी संख्या ऐसे माता-पिता और अभिभावकों की होती है, जो अमेरिका के विभिन्न शहरों से छुट्टी लेकर अपने बच्चों का प्रोत्साहन करने आते हैं. उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है. अपने बच्चों को देख कर उन्हें गर्व होता है कि अपनी धरती से इतनी दूर रह कर भी वे अपनी संस्कृति के कितने करीब हैं. मध्यावधि परीक्षा होने के बावजूद छात्र इस शो की सफलता के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. आप अमेरिका में दिवाली की तुलना यहां की छुट्टियों से कर सकते हैं.

इस साल दीवाली शो में करीब दो सौ छात्र-कलाकारों ने भाग लिया. इस दीवाली शो में हमेशा लगभग हर समुदाय, हर धर्म के माननेवाले लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. लगभग एक हजार दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट से सारा हॉल गूंज रहा था. बीते शनिवार को आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम की संयोजक ने बड़े उत्साह के साथ कहा, ‘अपनी संस्कृति को पहचानने का यह बहुत ही अच्छा अनुभव था.’ छात्र-कलाकारों ने कहा कि दर्शकों की तालियां सुन कर और मधुर संगीत की मिठास में लगभग हम सब डूब गये थे. तालियों की आवाज ने हम सब के हौसले और बढ़ा दिये थे.

कहानी की पृष्ठभूमि में नृत्य के अनेक रूपों, पारंपरिक भरतनाट्यम से लेकर एक जीवंत हिप-हॉप नृत्य तक, का समावेश सफलतापूर्वक किया गया था. फैशन शो भी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहा, जो अब हर दीवाली शो की एक नियमित पहचान है. गरबा, रास और भंगड़ा सहित जीवंत भारतीय नृत्यों के सामान्य मिश्रण के साथ यह कार्यक्रम खुद में बहुत अनोखा था. संयोजक ने कहा कि गैर-भारतीय छात्र भी इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. हमारा प्रयास होता है कि अधिक से अधिक लोगों को इस उत्सव में शामिल किया जा सके, ताकि भारतीय संस्कृति के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जानकारी मिल सके. दूसरों का हमारी संस्कृति के प्रति दिलचस्पी से हम बहुत उत्साहित हैं.

अमेरिका में रह रहे संजीव कुमार ने कहा, ‘मुङो अब तक दिवाली शो देखने का मौका नहीं मिला था, लेकिन इसके बारे में इतना सुन रखा था कि देखने की इच्छा मन में जाग रही थी. इस साल मैं भी अपने एक दोस्त के साथ दीवाली शो देखने गया. मुङो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि अमेरिका में भी इतने अच्छे शो का आयोजन संभव है.’ अमेरिका के एडिसन थियेटर का दीवाली शो किसी भी छात्र संगठन द्वारा आयोजित सबसे बड़ा समारोह है. इसकी लोकप्रियता दिनोदिन बढ़ती जा रही है. कई छात्रों ने तो शो के बाद भारत जाने की इच्छा जतायी.

शो के दौरान भारतीय संस्कृति के साथ-साथ एक स्लाइड शो के द्वारा भारतीयों की समस्याओं के बारे में भी दर्शकों को बताया गया, जो आज के आधुनिक और तरक्की कर रहे भारत के सामने एक चुनौती है. छात्र-कलाकार नताशा कहती हैं कि इस शो की सफलता के लिए हर साल छात्र देर रात तक अभ्यास करते हैं, जो बहुत ही थका देनेवाला होता है. लेकिन अगर मैं सही कहूं तो दर्शकों की तालियों से हमारी सारी थकान दूर हो जाती है. हम शो की सफलता से इतने उत्साहित हो जाते हैं कि हमें अपनी थकावट का एहसास तक नहीं होता.

दीवाली उत्सव अमेरिका के साथ ही लगभग पूरे विश्व में मनाया जाने लगा है. अब यह दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों के मुख्य समारोहों में से एक है. अमेरिका में विभिन्न समुदायों द्वारा ऐसे कार्यक्रम हर साल आयोजित होते हैं, ताकि नयी पीढ़ी को भारत की सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराया जा सके. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने भी दीवाली शो के प्रस्ताव को न केवल अनुमोदित किया, बल्कि रोशनी के इस त्योहार को हिंदू, सिख और जैन धर्म के महत्वपूर्ण पर्वो के साथ-साथ अमेरिका में दक्षिण एशियाइ समुदाय के महत्व को मान्यता भी प्रदान किया.

एम जे वारसी

भाषा विज्ञानी, वाशिंगटन विश्वविद्यालय, अमेरिका

warsimj@gmail.com

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