23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

असली जवाब का है इंतजार

।। अभिषेक दुबे ।।(खेल संपादक, आइबीएन-7)– चैंपियंस ट्रॉफी में अब तक के सफर ने टीम इंडिया को भरोसा दिया है कि 2015 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया सही रास्ते पर है. पर क्या जुनूनी जनता का भरोसा फिर बहाल हो सकेगा? –अगर इतिहास खुद को दोहराता है और हमेशा सोच के विपरीत धारा बहती […]

।। अभिषेक दुबे ।।
(खेल संपादक, आइबीएन-7)
– चैंपियंस ट्रॉफी में अब तक के सफर ने टीम इंडिया को भरोसा दिया है कि 2015 वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया सही रास्ते पर है. पर क्या जुनूनी जनता का भरोसा फिर बहाल हो सकेगा? –
अगर इतिहास खुद को दोहराता है और हमेशा सोच के विपरीत धारा बहती है, तो आप अनुमान लगा सकते हैं कि मानवीय सभ्यता अपने अनुभवों से सीख लेने में कितनी अक्षम है. जॉर्ज बर्नाड शॉ का यह वाक्य भारतीय क्रिकेट की दशा-दिशा के बारे में काफी कुछ कह जाता है.

हम याद करें वो साल, जब पूर्व भारतीय कप्तान समेत टीम के कई स्टार क्रिकेटर संदेह के दायरे में थे, फिर सौरव गांगुली ने टीम की कमान संभाली, फिर क्रिकेट के इस जुनूनी देश का अपने स्टार्स पर भरोसा जग सका. भारतीय क्रिकेट 2013 में फिर से कलंकित हुआ है, इसके फैन्स खुद को दोबारा ठगा महसूस कर रहे हैं, क्रिकेट को चलानेवाले संदेह के दायरे में हैं और टीम इंडिया मीलों दूर अपनी छवि को फिर बहाल करने और नये सिरे से गढ़ने में जुटी है. सवाल यह है कि क्या हम कामयाबी की खुमारी में फिर डूब जाएंगे, या फिर फतह के बावजूद अपनी गलतियों को दुरुस्त करने में लगन से लगे रहेंगे?

भारतीय क्रिकेट में कितने हीरो आये और अपनी पहचान छोड़ गये, पर महेंद्र सिंह धौनी नामक हीरो ने अनेक मिथक तोड़े हैं. पहले विकेटकीपर बल्लेबाज, जिन्होंने बल्लेबाजी की तकनीक के मायने बदले, फिर क्रिकेटरों के लीडर बने, जिनकी जीत को भाग्य से जोड़ कर देखा गया.

टी-20 वर्ल्ड कप की कामयाबी, ऑस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय सीरीज में जीत, टेस्ट में नंबर एक टीम के कप्तान का तमगा और फिर वर्ल्ड कप 2011 पर कब्जा, धौनी ने किस्मत को कुंजी बतानेवाले को जवाब तो दे दिया, फिर भी एक सवाल स्वाभाविक था, क्या कामयाबी की यह सूची सौरव गांगुली की विरासत की नींव पर तो नहीं बनी है? इस सोच को तब तगड़ा बल मिला, जब सचिन-सौरव-द्रविड़-लक्ष्मण अपने बेमिसाल कल की परछाई बनते चले गये और धौनी का तिलिस्म भी इंग्लैंड व ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर भारत को 0-8 के सफाये से बचा नहीं सका.

वर्ल्ड कप 2011 में हमारी जीत ने हमारी कमजोरियों को ढकने का काम किया हो या नहीं, लेकिन शायद इस बात का अंदाजा लगाने का वक्त आ गया था कि हमारे शेर अंतिम दहाड़ लगा चुके हैं.

अतीत के साये में जीना विकासशील की नियति बन जाती है और हम इसका अपवाद बनने को तैयार नहीं थे. श्रीकांत की सेलेक्शन कमेटी भी इसी ट्रेंड के मुताबिक चली और 2011 वर्ल्ड के बाद लगातार गिरते ग्राफ के बावजूद इनके किरदारों के साथ छेड़छाड़ मुनासिब नहीं समझा. पर इतिहास गवाह है कि ‘बदलाव’ शब्द को छोड़ सब बदल जाता है.

नियति ने इस र्ढे पर चलते हुए टीम चुनने का बेटन श्रीकांत से संदीप पाटिल को सौंपा. पाटिल की टीम को पहले दिन से समझ में आ गया कि उनके पास दो ही रास्ते हैं- एक, पुराने किरदारों पर निर्भर रह कर आगे का रोडमैप बनाना, जिसमें हार तय है. दूसरा, बीते कल के साये और किरादारों को चुनौतियों के तराजू पर तौलना, नये सिपाहियों को आजमाना, जिसमें हार के साथ जीत की संभावना भी है. पाटिल की टीम ने दूसरे रास्ते को चुना और अब तक परिणाम सफल रहे हैं.

ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत आयी, ओपनिंग की कमान सहवाग-गंभीर से हट कर मुरली विजय-शिखर धवन के जिम्मे सौंप दी गयी. जहीर के साथ अतीत था, पर भुवनेश्वर पर भरोसा दिखाया गया. युवराज ने दो वर्ल्ड कप में फाइटर का किरदार निभाया था, पर शायद उनकी जगह को लेकर कठोर फैसले का वक्त आ गया था. सचिन क्रिकेट के महानतम सपूत हैं, पर हर बेहतरीन चीज का अंत भी होता है.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मिली कामयाबी ने टीम से अधिक सेलेक्टरों को भरोसा दिया कि वे सही राह पर हैं. तभी तो चैंपियंस ट्रॉफी के लिए जब टीम चुनी गयी, उसमें न तो कई मोरचे पर फतह दिलानेवाले सहवाग थे और न 2007 टी-20 वर्ल्ड कप व 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में गंभीरता से खेलनेवाले गंभीर. महानतम क्रिकेटर सचिन पहले ही रंगीन कपड़े को त्यागने का फैसला ले चुके थे.

टीम में न जहीर थे, न हरभजन. आइपीएल में फिक्सिंग की फांस से कलंकित होने से पहले, सेलेक्टर धौनी को उनकी टीम दे चुके थे. माही को मिली टीम में सौरव दौर की परछाई खत्म हो चुकी थी. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2011 वर्ल्ड कप विजेता टीम के सिर्फ 4 क्रिकेटर 2013 चैपियंस ट्रॉफी टीम का हिस्सा हैं.

अगर आइपीएल 2010 ने क्रिकेट के लिए अलार्म बजाने का काम किया था, तो आइपीएल 2013 के आखिरी हफ्ते ने ऐसा एंबुलेंस लाया जिसका सीधा रास्ता आइसीयू की ओर था. भारत की ओर से खेलनेवाला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर कलंकित होकर सलाखों के पीछे था.

एक अंतरराष्ट्रीय पैनल अंपायर पर सवाल उठने के साथ उनकी चैंपियंस ट्रॉफी से छुट्टी हुई. फिक्सिंग की फांस बीसीसीआइ मुखिया के घर तक पहुंच गयी और राजस्थान रॉयल्स का मालिक मान गया कि वो बेटिंग करता था. ये विश्व क्रिकेट के फैन्स को अचंभित भले करे, पर क्रिकेट को करीब से देखनेवालों के लिए ऐसी तथाकथित बातें थीं, जो हर किसी को पता थीं.

खैर, सवालों और संदेह के साये के बीच टीम इंडिया चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेने रवाना हुई, पर मुंबई से लंदन के बीच यह हवाई सफर दो बातें चीख-चीख कर पूछ रहा था- पहला, भारतीय फैन्स का टीम इंडिया पर भरोसा फिर कैसे कायम हो और दूसरा, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू जमीन पर कामयाब टीम इंडिया क्या सरहद पार छाप छोड़ पायेगी? इंग्लैंड में टीम इंडिया ने दो प्रैक्टिस और चैंपियंस ट्रॉफी में दो मैच खेले हैं और दूसरे सवाल का जवाब सराहनीय रहा है.

जडेजा, कोहली, रैना, कार्तिक, रोहित समेत टीम के युवा रणबांकुरों ने टीम की फील्डिंग को भी नये स्तर पर पहुंचा दिया है. मुरली स्पेशलिस्ट ओपनर के तौर पर गये, पर टीम मैनेजमेंट ने रोहित शर्मा पर भरोसा जताया. रोहित अपनी प्रतिभा को प्रदर्शन में बदलने में कामयाब रहे.

क्या पता चैंपियंस ट्रॉफी इस लिहाज से उनके कैरियर का टर्निग प्वाइंट साबित हो. धवन ने टूर्नामेंट के दो मैचों में लगातार शतक जमाये हैं. शिखर-रोहित ने सहवाग-गंभीर जैसी आतिशी ओपनिंग जोड़ी की कमी बिल्कुल भी खलने नहीं दी. जडेजा को अब तक दो मैचों में सौ में से सौ नंबर जाते हैं. पाकिस्तान के खिलाफ मैच से पहले भारत सेमीफाइनल में जगह बना चुका है.

अब भारत चैंपियंस ट्रॉफी का विजेता बने या नहीं, धौनी के नाम यह तमगा आये या नहीं, अहम यह है कि चैंपियंस ट्रॉफी में अब तक के सफर ने टीम इंडिया को यह भरोसा दिया है कि 2015 में ऑस्ट्रेलिया में होनेवाले वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया सही रास्ते पर है.

हो सकता है कि भारतीय फैन्स इससे पल भर के लिए खुश हो जाएं, पर सवाल कायम है कि क्या क्रिकेट को लेकर जुनूनी जनता का भरोसा फिर बहाल हो सकेगा? धौनी ने जिन सवालों को टाले हैं, उनके जवाब का इंतजार है. इतिहास खुद को दोहराता है, सौरव का किरदार अब धौनी को निभाना है. धौनी ने कैरियर में कई मिथकों को तोड़ा है और हर कोई चाहेगा कि वे इस मिथक को भी तोड़ें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें