प्रभात खबर के 17.9.14 के अंक में पवन के वर्मा (सांसद एवं पूर्व प्रशासक) के विचार ‘विनाशकारी है संघ परिवार की सोच’ को पढ़ा. इसे पढ़ कर अत्यंत मर्माहत हुआ. इस बारे में पवन जी से कहना है कि शायद आप संघ और शाखा से अनभिज्ञ हैं. संघ, शाखा और संघ परिवार देश के समस्त सनातनी परंपरा से जुड़े लोगों को जोड़ने का काम करता है.
संघ परिवार जातिवाद, परिवारवाद, संप्रदायवाद आदि विचारों से ऊपर उठकर ‘राष्ट्रवाद को जन्म देता है. भारत हिंदू बहुल क्षेत्र है और सनातन परंपरा से जुड़े लोगों की संख्या आज भी बहुलता में है. लेकिन ये लोग बंटे हुए हैं, इन्हें ही एकजुटता प्रदान करने का लक्ष्य संघ और संघ परिवार का होता है.
संघ और संघ परिवार राष्ट्रवाद व राष्ट्रप्रेम का पाठ पढ़ाता है. फिर भी यह विनाशकारी नहीं, एक कल्याणकारी संगठन है. संघ परिवार अपनी प्राचीन परंपरा व संस्कृति के रक्षार्थ लोगों को संगठित करता है, न कि अन्य तथाकथित धर्मावलंबियों की तरह पूरे विश्व में अपना झंडा गाड़ने के लिए अभियान चलाता है. संघ के जन्मदाता डॉ केशव वलीराम हेडगेवार का जन्म शायद ईसा मसीह व हजरत मोहम्मद के पूर्व हुआ होता तो शायद हमारी प्राचीन परंपरा व संस्कृति आज पूरे संसार में सुरक्षित बची होती और पूरा विश्व सनातनी संस्कृति क्षेत्र के रूप में खड़ा रहता. हम अपने इतिहास में सनातनी परंपरा को संचालित करनेवाले महापुरुषों के इतिहास का जयगान करते होते. हमें तुर्क, अफगानिस्तान, मुगल, अंगरेज आदि का नाम लेने के लिए विवश नहीं होना पड़ता.
चाणक्य ने निश्चित सत्य ही लिखा है कि बाह्य शत्रुओं को परास्त करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है राष्ट्र की आंतरिक रूप से स्थिरता और स्वतंत्रता. इस तथ्य को तो आपने अपने विचार में शामिल कर लिया, लेकिन शायद आपने इसे दूसरे के माथे सौंपकर खुद को मुक्त कर लिया. पवन जी! हम आंतरिक रूप से भले ही टूटे, बंटे और अस्थिर हैं, तभी तो राष्ट्रधर्म का पाठ पढ़ानेवाले संगठन भी आपको विनाशकारी लग रहा है. देश बचेगा, तभी राजनीति होगी!
डॉ बिरेंद्र साहू, रांची