26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

जंग हो न हो, जुबानी खर्च तो जारी रखिए

सोचिए कुछ, हो जाता है कुछ. जाना चाहें कहीं और पहुंच जायें कहीं और. कुछ ऐसा ही भारत-पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर बहुत पहले से होता आ रहा है. नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के शामिल होने और शॉल-साड़ी का उपहार लेने-देने के बाद जो उम्मीद बंधी थी, वह […]

सोचिए कुछ, हो जाता है कुछ. जाना चाहें कहीं और पहुंच जायें कहीं और. कुछ ऐसा ही भारत-पाकिस्तान के साथ रिश्तों को लेकर बहुत पहले से होता आ रहा है. नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के शामिल होने और शॉल-साड़ी का उपहार लेने-देने के बाद जो उम्मीद बंधी थी, वह ध्वस्त हो चुकी है. बीती मई से अब तक पाकिस्तान ने हर दूसरे दिन सीमा पर संघर्षविराम का उल्लंघन किया है.

ये पाकिस्तान की मर्दानगी नहीं, उसकी अपनी मजबूरी है. जब-जब पाकिस्तान में घरेलू स्तर पर स्थिति डांवाडोल होने लगती है, तब-तब उसे कश्मीर की कुछ ज्यादा याद आती है और वह सीमा पर गोले दागने लगता है. हाल के दिनों में इमरान खान और मौलाना कादरी ने नवाज शरीफ सरकार की नाक में दम कर रखा है. शरीफ और उनकी सरकार की साख पाकिस्तानियों की नजर में बुरी तरह गिर चुकी है. ऐसे में नवाज शरीफ अपना भारत विरोध का ब्रrास्त्र आजमा रहे हैं.

दोनों मुल्कों की कथित राष्ट्रवादी ताकतें भले ही भारत-पाकिस्तान के बीच 25 अगस्त को होनेवाली विदेश सचिव स्तरीय बैठक रद्द होने से खुश हों, लेकिन शांति के पक्षधरों को इससे नरेंद्र मोदी के दोनों मुल्कों को करीब लाने के प्रयासों को पलीता लगता दिख रहा है. गजोधर भाई बातचीत रद्द करने के फैसले से बेहद उदास हैं. उनको लगता है कि पाक फिर तख्तापलट की ओर बढ़ रहा है. मुझसे मिलते ही बोले..देखा, जिसका डर था, वही हो गया. मोदी जी की नेकनीयती के सामने पाकिस्तान की घरेलू झकझूमर भारी पड़ गयी. पहले जम्मू-कश्मीर में रोज-रोज गोला दाग कर पड़ोसी ने हमें उकसाने की भरपूर कोशिश की. लेकिन हमारी सरकार को लगा कि जैसे-जैसे द्विपक्षीय बातचीत आगे बढ़ेगी, सब ठीक हो जायेगा.

हद तो तब हो गयी, जब नवाज साहब ने दिल्ली में बैठे अपने उच्चयुक्त को दोनों देशों की बातचीत से पहले अलगाववादियों से मिलने व उनकी राय लेने का फरमान सुना दिया. इसी के विरोध में भारत वार्ता रद्द हो गयी. गजोधर के भाषण से उकता कर मैंने कहा, आपकी नजर में भारत-पाकिस्तान कभी दोस्त नहीं बन सकते? क्या दोनों देशों में बहुत लोग इस दोस्ती के खिलाफ हैं? गजोधर भाई भड़क गये, बोले- मेरा तो सिर्फ यही कहना है, जो मोदी जी ही नहीं अटल जी बहुत पहले कह चुके हैं.. हम कुछ भी कर लें, लेकिन पड़ोसी नहीं बदल सकते. पड़ोसी नहीं बदल सकते, तो यह भी समझ लें कि दोस्ती में अति जल्दबाजी भी न दिखायें क्योंकि ये एक लंबी प्रक्रिया है. दिक्कत यह है कि दोनों देशों की आम जनता अति उत्साही है.. उसे आग उगलने वाले नेता अच्छे लगते हैं. नेताओं का क्या, वे सत्ता पाने के लिए या सत्ता में बने रहने के लिए असली नहीं तो जुबानी जंग के जरिये किसी भी हद तक जा सकते हैं. ऐसे नेता सरहद के उस पार भी हैं और इस पार भी.. आखिर हैं तो हम दोनों भाई-भाई ही. बात का क्या फिर कर लेंगे..

बृजेंद्र दुबे

प्रभात खबर, रांची

brijendra.dubey10@gmail.com

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें