हमारे प्रधानमंत्री ने ऊर्जा के संरक्षण और इसके वैकल्पिक साधनों के लिए ‘केसरिया क्रांति’ का नारा दिया है. यह एक अच्छा और साकारात्मक कदम है. ऊर्जा संकट आज के युग की वास्तविकता है, इससे इनकार करना या इसकी उपेक्षा करना दोनों ही घातक हो सकते हैं.
भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह गंभीर चिंता का विषय है कि वर्तमान में ऊर्जा का विकल्प कैसा हो. ऊर्जा के वर्तमान साधन, जैसे कोयले और पेट्रोलियम का भंडार सीमित है और ज्यादा दिन तक साथ नहीं दे सकते. हमें भी विकसित देशों की तरह गैर-परंपरागत साधनों, जैसे सूर्य, पवन, जल आदि से ऊर्जा का उत्पादन करने की आवश्यकता है.
जरूरत इस बात की है कि हम ऊर्जा के इन वैकल्पिक साधनों को अधिक से अधिक अपनायें. यह तभी संभव है जब केंद्र और राज्य सरकार मिल कर इस कोशिश को सफल बनायें.
प्रखर राकेश, धनबाद