संगति से ही जिंदगी बनती-बिगड़ती है और सच यह भी है कि दुनिया में दोस्ती ही ऐसा रिश्ता है, जो हमें खुद बनाना होता है. अन्य सारे रिश्ते हमें बने-बनाये मिलते हैं.जीवन में दोस्त की महत्ता इसी बात से जानी जा सकती है कि हमारे दोस्त अगर बेहतर हों तो जीवन संपन्न हो जाता है, जबकि बुरे लोगों की संगत से हमारी जिंदगी नारकीय हो जाती है. दोस्त के हौसले बुलंद और इरादे नेक होने चाहिए, जो अपने हौसले से हमें समुद्र की गहराइयों और पहाड़ की ऊंचाइयों पर भी फतह करा दे.
और जब संगत खराब हो तो वह हमें बीच मझधार में डुबो कर हमारा जीवन तहस-नहस कर देती है. सबसे बढ़कर, सच्ची मित्रता वही होती है जो दुख के समय हमारे साथ हो, इसलिए हमें चाहिए कि अपनी मित्रता सच्चे मन से निभायें और सुख में हो या न हो, लेकिन दुख में हमेशा मित्र को सहारा दें.
– इरशाद आलम, बरकाकाना