रेल मंत्री द्वारा पेश किये गये बजट में आम मुसाफिरों पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है. आम मुसाफिरों की यात्रा सुखद, सुरक्षित और मंगलमय बनाने के बजाय उन्होंने वीआइपी जोन में ज्यादा जोर दिया है. चीन या जापान की नकल करने के बजाय, व्यवस्थागत त्रुटियों को दूर करने पर ध्यान देना चाहिए. जहां तक मेरी समझ है, रेलगाड़ियों को समय पर चला कर, रफ्तार बढ़ा कर, अनावश्यक ठहरावों को खत्म करके, पेयजल मुहैया कराने से लेकर साफ-सफाई का ख्याल रख कर ही भारत की इस जीवन-रेखा को फायदे में लाया जा सकता है.
स्टेशनों, प्लेटफार्मो पर विश्रमालय, शौचालय, शेडों की मरम्मत और निर्माण पर जोर जरूरी है, न कि भारत में बुलेट ट्रेन लाने की. रेलवे ट्रैकों के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण को सुनिश्चित कर रेलवे को आधुनिक रूप दिया जा सकता है. बुलेट ट्रेन से कुछ नहीं होने वाला.
राहुल शर्मा, गोड्डा