सरकार मध्याह्न भोजन, पोशाक राशि, छात्रवृत्ति, साइकिल जैसी कई सराहनीय योजना चला रही है, ताकि सरकारी विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ सके.
लेकिन, बेहतर शिक्षा देने की दिशा में यह प्रयास उतना प्रभावी नहीं हो पा रहा है, जितने पैसे इस मद में खर्च किये जा रहे हैं. बच्चे विद्यालय तो प्रतिदिन किसी तरह पहुंच रहे हैं, लेकिन विद्यालयों में पढ़ाई न होने के कारण निराश होकर मध्याह्न भोजन के बाद घर का रुख कर लेते हैं. सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की भी काफी कमी है.
हजारों ऐसे विद्यालय हैं, जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है. जब विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षक ही नहीं होंगे, तो पढ़ाई कैसे होगी? अतः बिहार सरकार विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्राथमिकता के आधार पर शिक्षकों की कमी को दूर करे.
सोनू कुमार सोनी, लौरिया (प. चंपारण)