23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

समस्या की हो रही अनदेखी

आज से लगभग तीस वर्ष पहले तक भारत के सभी राजमार्गो और व्यस्त चौराहों के आस-पास एक बोर्ड टंगा होता था, जिस पर नारा लिखा होता था, ‘हम दो, हमारे दो.’ इस नारे का किसी भी राजनीतिक दल और राजनेता ने कभी विरोध नहीं किया था. समय बदला, चौराहों और राजमार्गो की संख्या भी बढ़ी, […]

आज से लगभग तीस वर्ष पहले तक भारत के सभी राजमार्गो और व्यस्त चौराहों के आस-पास एक बोर्ड टंगा होता था, जिस पर नारा लिखा होता था, ‘हम दो, हमारे दो.’ इस नारे का किसी भी राजनीतिक दल और राजनेता ने कभी विरोध नहीं किया था. समय बदला, चौराहों और राजमार्गो की संख्या भी बढ़ी, लेकिन यह नारा लुप्त हो गया. प्रत्येक जिले के जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अपने जिले में परिवार नियोजन का एक सुनिश्चित लक्ष्य प्राप्त करना पड़ता था.

वे इस जिम्मेदारी को ब्लॉक और तहसील स्तर तक पहुंचा कर एक निश्चित लक्ष्य-पूर्ति की दिशा में संघर्षशील रहते थे, लेकिन जब से राज्यों में क्षेत्रीय दलों की सरकारें और केंद्र में गंठबंधन सरकारें बनने लगीं, इस तरह की केंद्रीय नीतियां गायब होने लगीं. जनसंख्या नियंत्रण पर अब न कोई बहस होती है, न ही रायशुमारी.

प्रकाश तिवारी, आदित्यपुर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें