हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी झामुमो-कांग्रेस-राजद-निर्दलीय गंठबंधन की सरकार को एक साल होने को आये, लेकिन राज्य की हालत जस की तस है. इसके पहले भी कई बार मंत्रियों के शपथ और मंत्रिमंडल के विस्तार का खेल हो चुका है. इस राज्य की जनता 13 साल से यही तो देखती आ रही है, लेकिन उनके विकास का क्या होगा, इसकी सुध किसे है?
हमारा झारखंड, भारत का ऐसा पहला राज्य है जहां विभाजन के 13 साल बाद ही आपसी खींचतान की वजह से कोई पांच वर्ष तक शासन न कर सका और इसी वजह से यहां तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लगाना पड़ा. यहां अब तक की सारी सरकारें अस्थिर व खोखली रही हैं. यहां सवाल यह है कि राजनीति के पुरोधा किस बुनियाद पर राज्य विभाजन और छोटे राज्य की मांग करते हैं? जाने क्या होगा इस राज्य का!
प्रदीप्त दास, देवघर