पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन उम्मीद से कहीं ज्यादा खराब हुआ है. सीधे रूप से कहा जाये तो पार्टी व सरकार का दंभ तथा नीतियां ही उसे इस नतीजे पर पहुंचाने का एक कारण हो सकता है.
झारखंड के साथ बने छत्तीसगढ़ में भाजपा की बुरी स्थिति पर कहना अनुचित नहीं होगा कि आदिवासी बहुल इस राज्य में बाहरियों के लिये दरवाजे खोले गये. कुछ एेसा ही हाल झारखंड की भी है.
यहां की स्थानीय नीति की बात करें या नौकरी देने की नीतियां, सबकुछ बाहरियों के अनुकूल बनी हैं. मूलवासी व स्थानीय युवकों को यहां नौकरियां नहीं मिल रही हैं. पारा शिक्षक, रोजगारसेवक, आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका में मूलवासी व स्थानीय लोग ही कार्यरत हैं, बावजूद उनकी मांगें पूरी नहीं हो रही. स्थानीय लोगों का गुस्सा आने वाले समय में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.
विनोद के सिन्हा, चंद्रपुरा, बोकारो.