13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बड़ी डिजिटल छलांग

अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए रोजमर्रा के वित्तीय लेन-देन की प्रक्रिया की सुगमता एक जरूरी शर्त है. इसी वजह से सरकार बैंकिंग तंत्र के विस्तार और डिजिटल भुगतान पर लगातार जोर दे रही है. इसका एक बड़ा नतीजा डेबिट कार्डों की तादाद में भारी बढ़ोतरी के रूप में हमारे सामने है. यह तादाद एक अरब […]

अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए रोजमर्रा के वित्तीय लेन-देन की प्रक्रिया की सुगमता एक जरूरी शर्त है. इसी वजह से सरकार बैंकिंग तंत्र के विस्तार और डिजिटल भुगतान पर लगातार जोर दे रही है. इसका एक बड़ा नतीजा डेबिट कार्डों की तादाद में भारी बढ़ोतरी के रूप में हमारे सामने है.

यह तादाद एक अरब के आंकड़े के करीब है. दस साल पहले यह संख्या साढ़े आठ करोड़ से भी कम थी. बढ़त का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि बीते चार साल में डेबिट कार्डों की संख्या में दोगुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. इसका एक अहम पहलू यह है कि डेबिट कार्डों में लगभग 56 करोड़ रूपे कार्ड हैं, जो जन-धन खाते के साथ दिये जाते हैं.

ग्रामीण भारत तथा निम्न आयवर्गीय तबकों का वित्तीय समावेशीकरण केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में है. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार, जन-धन और लाभुकों के खाते में सीधा भुगतान जैसी योजनाएं इसी समावेशीकरण का हिस्सा हैं. अगर हम डेबिट कार्डों के इस्तेमाल के आंकड़ों को देखें, तो उनमें भी पांच सालों में सौ फीसदी की बढ़त है.

इस साल अगस्त में 1.16 अरब बार डेबिट कार्डों के जरिये लेन-देन हुआ, जबकि अगस्त, 2013 में यह संख्या 57.9 करोड़ थी. वित्तीय व्यवस्था में आबादी के बड़े हिस्से को लाने की कोशिश के साथ सरकार ने नकदी लेन-देन के बारे में अनेक नियम बनाये हैं, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके. बाजार ने भी डेबिट कार्डों के चलन को देखते हुए कई फायदे ग्राहकों को देना शुरू किया है, जैसे- कैश बैक, छूट, आसान ब्याज पर मासिक किस्त आदि. मोबाइल फोन और इंटरनेट के साथ कूरियर सेवाओं के विस्तार ने दूर-दराज के इलाकों में भी ऑनलाइन खरीद-बिक्री को प्रोत्साहित किया है. इससे भी डेबिट कार्डों का अधिक उपयोग हो रहा है.

पांच साल पहले तक इन कार्डों का 90 फीसदी इस्तेमाल एटीएम मशीनों में होता था, लेकिन आज इसमें 31 फीसदी हिस्सा ई-कॉमर्स और प्वाइंट ऑफ सेल यंत्रों का है. पेंशन, अनुदान, छात्रवृत्ति, वेतन, मजदूरी, भुगतान खातों के माध्यम से करने की पहल ने भी डेबिट कार्डों के उपयोग को बढ़ावा दिया है. लोग न सिर्फ बैंकिंग के फायदों से तेजी से परिचित हो रहे हैं तथा रूपे कार्ड एवं डिजिटल लेन-देन के बारे में उनकी जागरूकता भी बढ़ रही है.

मार्च, 2014 से मार्च, 2018 के बीच देश में विभिन्न बैंकों की 25 हजार नयी शाखाएं बनीं और 45 हजार नयी एटीएम मशीनें लगीं. यह भी बैंकिंग सेवा के विस्तार का सूचक है, लेकिन इसमें एक कमी यह रही है कि गांवों और दूर-दराज के इलाकों में यह विस्तार बहुत कम पहुंच सका है. पिछले साल एक अध्ययन में बताया गया था कि देश की 19 फीसदी आबादी की पहुंच बैंकिंग तंत्र तक नहीं है. डिजिटल प्रसार के साथ इस कमी को दूर करने की कोशिश भी जरूरी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें