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थूकने पर पाबंदी से काम हो जायेगा!

दक्षा वैदकर प्रभात खबर, पटना गंगा में थूकने पर जेल और जुर्माना- जब से टीवी और अखबारों में यह खबर देखी है, अलग-अलग तरह के सवाल जेहन में उठ रहे हैं. कभी यह निर्णय बिल्कुल सही लगता है, तो कभी कुछ खास वर्ग पर दया आती है. कुछ दृश्य भी आंखों के सामने घूम रहे […]

दक्षा वैदकर

प्रभात खबर, पटना

गंगा में थूकने पर जेल और जुर्माना- जब से टीवी और अखबारों में यह खबर देखी है, अलग-अलग तरह के सवाल जेहन में उठ रहे हैं. कभी यह निर्णय बिल्कुल सही लगता है, तो कभी कुछ खास वर्ग पर दया आती है. कुछ दृश्य भी आंखों के सामने घूम रहे हैं कि अगर ऐसा होने लगा, तो आगे क्या होगा.

मैं सोच रही थी कि गंगा दर्शन के लिए, उसमें डुबकी लगाने और पाप धोने के लिए इतनी बड़ी संख्या में लोग जाते हैं, क्या सभी को रोका जा सकेगा? भारत में गाड़ी चलाने को ले कर तमाम तरह के नियम बने हुए हैं, लेकिन फिर भी इनका तो कोई फायदा नजर नहीं आता. लोग बड़े-बड़े एक्सीडेंट कर देते हैं. शराब पी कर गाड़ी चलाते हैं और पुलिस को घूस दे कर छूट जाते हैं. भारत में नियम का मतलब है पुलिसवालों की कमाई का एक और रास्ता खोल देना. क्या गंगा किनारे इन बातों पर नजर रखने के लिए पुलिस लगायी जायेगी? कैमरे लगाये जायेंगे. कैमरों की मॉनटरिंग होगी? इतना स्टाफ रखा जायेगा कि यह सब काम हो?

आज भी गंगा किनारे कई लोग साबुन लगा कर नहाते, कपड़े धोते दिख जाते हैं. जब उनसे पूछा जाता कि भैया यहां गंदगी क्यों फैला रहे हो, तो वे एक ही जवाब देते हैं- ‘घर में पानी ही नहीं है, तो कपड़ा किधर धोयें. आप कर दीजिये पानी का इंतजाम, फिर इधर नहीं आयेंगे हम.’ इन लोगों की समस्याओं का हल निकालने के लिए कोई उपाय कब होगा? मैं यह नहीं कह रही कि यह नियम नहीं बनना चाहिए. यह तो अच्छा है कि लोगों के दिल में थोड़ा डर रहेगा कि अगर थूकते, कचरा फेंकते पकड़े गये, तो सजा हो सकती है. लेकिन दूसरी ओर दिमाग दूसरी ही कल्पनाएं करता रहता है. मसलन गंगा घाटों पर श्रद्वालुओं से ज्यादा संख्या में पुलिसवाले अब नजर आयेंगे. इधर किसी ने थूका और उधर वे जुर्माना वसूलने आ जायेंगे. दस हजार नहीं देना है, तो एक-दो हजार रुपये दे कर वहां से निकला जा सकता है.

सरकार को मेरा यही सुझाव है कि इस नियम को लागू करवाने के पहले वह अन्य मुख्य कारणों पर भी नजर डाले. हमें कारखानों का जहरीला कचरा नदियों में मिलने से रोकना होगा. गंगा घाटों के आसपास चल रहे होटल, रेस्तरां, मंदिर, दुकानों सभी के लिए नियम बनाने होंगे, क्योंकि घाटों को गंदा करने में इनका बड़ा योगदान होता है. अस्थि व पूजा सामग्री का प्रवाह करना भी बंद करवाना होगा. लोग पूजा से जुड़ी तमाम चीजें गंगा में बहाते हैं, जो बह कर किनारों पर जमा हो जाती हैं और दरुगध फैलाती हैं.

गंगा जहां-जहां से गुजरती है, वहां के नालों की गंदगी मिलती चली जाती है. इन नालों के मुंह कब बंद किये जायेंगे? इसका वैकल्पिक इंतजाम क्या होगा? कुछ नियम बना देने भर से यह समस्या हल नहीं होगी. इसके लिए पूरी प्लानिंग करनी होगी. आम लोगों पर ही पाबंदी नहीं, बल्कि फैक्ट्री मालिकों पर शिकंजा कसना होगा, ताकि जहरीली चीजें गंगा में न बहायी जायें.

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