राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद के संयुक्त अधिवेशन में दिये अपने अभिभाषण में नयी सरकार के प्रस्तावित कामकाज की रूपरेखा और प्राथमिकताओं को संसद और देश के सामने प्रस्तुत किया है. 16वीं लोकसभा के चुनाव को ‘उम्मीदों का चुनाव’ और इसके परिणामों को ‘सुशासन द्वारा विकास’ के लिए जनादेश की संज्ञा देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जनता ने ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के लिए मतदान किया है.
‘सब का साथ, सब का विकास’ के सिद्धांत और ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम सुशासन’ के मंत्र पर कार्य करनेवाली यह सरकार ‘अपनी महान सभ्यता के मूलभूत मूल्यों’ से मार्गदर्शन लेगी. भारतीय जीवन के हर पक्ष के विकास का वादा करते इस अभिभाषण की पहली प्राथमिकता ‘गरीबी का पूर्ण निवारण’ है.
खाद्य पदार्थो की कीमतों में अनियमित और अनियंत्रित बढ़ोतरी से आम जनता त्रस्त है. राष्ट्रपति के संबोधन में इस मसले पर तुरंत प्रभावी कदम उठाने की बात कही गयी है. अभिभाषण की मुख्य विशेषता गांवों की मूल प्रकृति को बरकरार रखते हुए वहां शहरी सुविधाओं को पहुंचाने की ‘ग्राम-शहर की संकल्पना’ है. इसी से जुड़ी हुई एक प्राथमिकता नयी तकनीकों, आर्थिक प्रबंधन और सरकारी व निजी निवेश के जरिये कृषि-क्षेत्र के विकास की है.
शिक्षा-व्यवस्था की बेहतरी के लिए महत्वपूर्ण प्रयासों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाना, व्यावसायिक योग्यताओं को अकादमिक समानता देना, राष्ट्रीय बहु-कौशल परियोजना शुरू करना, खेल प्रतिभाओं की खोज करना आदि शामिल हैं. देश में शांति और समृद्धि के लिए आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में समुचित सतर्कता बरतने के साथ सरकार आतंक, चरमपंथ, दंगा और अपराधों के खिलाफ कड़ा रवैया अपनायेगी. देश की न्यायिक प्रक्रिया में सुधार की जरूरत लंबे अरसे से महसूस की जा रही है. इस संबोधन में इस दिशा में त्वरित प्रयासों की बात कही गयी है. साथ ही विदेश मामलों में पारंपरिक नीतियों के जारी रखने और आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को तेज करने के संकेत स्पष्ट हैं. कुल मिला कर अभिभाषण में जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप देश की आर्थिक एवं सांस्कृतिक बेहतरी की कार्ययोजना है, जिसकी पहली परीक्षा मोदी सरकार के पहले बजट में होगी.