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‘मोदी सरकार’ का आगाज अच्छा है!

महामहिम राष्ट्रपति द्वारा आज शाम नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाने के साथ ही ‘मोदी सरकार’ का आगाज हो जायेगा और ‘अच्छे दिनों के आने की उम्मीदों’ का सामना सरकार के कामकाज की हकीकतों से होगा. फिलहाल, संकेत शुभ हैं. कई पड़ोसी मुल्कों के राष्ट्राध्यक्ष व शासनाध्यक्ष मोदी […]

महामहिम राष्ट्रपति द्वारा आज शाम नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाने के साथ ही ‘मोदी सरकार’ का आगाज हो जायेगा और ‘अच्छे दिनों के आने की उम्मीदों’ का सामना सरकार के कामकाज की हकीकतों से होगा. फिलहाल, संकेत शुभ हैं. कई पड़ोसी मुल्कों के राष्ट्राध्यक्ष व शासनाध्यक्ष मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा ले रहे हैं.

भारत एवं पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद नरेंद्र मोदी द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को निमंत्रण देना, और वहां के कट्टरपंथी संगठनों के विरोध के बावजूद शरीफ का समारोह में शामिल होना न सिर्फ भारत-पाक संबंधों की दृष्टि से, बल्कि समूचे दक्षिण एशिया के कूटनीतिक माहौल के लिए सराहनीय शुरुआत है. नकारात्मक आलोचना की आदत से लाचार लोगों की नजर में यह सब महज रस्म अदायगी या दिखावे की बात भले हो, लेकिन कूटनीतिक जानकार बताते हैं कि देशों के आपसी संबंधों की बेहतरी में ऐसी पहलों की बड़ी भूमिका होती है.

प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दिल्ली आगमन से पूर्व पाकिस्तान सरकार ने कल कराची जेल में बंद 151 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया है. इस सकारात्मक निर्णय से आनेवाले दिनों में दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और क्षेत्रीय स्तर पर कई जरूरी पहलों की उम्मीद बढ़ी है. कश्मीर का मसला न सिर्फ दोनों देशों के संबंधों में सबसे अहम है, पूरे दक्षिण एशिया में अमन-चैन के लिए इसका स्थायी समाधान तलाशना जरूरी है. यह तथ्य उल्लेखनीय है कि नवाज शरीफ अगले महीने अपने मौजूदा कार्यकाल का पहला वर्ष पूरा करेंगे और नरेंद्र मोदी आज अपना कार्यकाल प्रारंभ करेंगे.

इन दोनों नेताओं को साथ काम करने का लंबा समय मिलेगा. एक नयी शुरुआत आज से हो रही है, तो आशा बंधती है कि कश्मीर मसले पर आम सहमति की दिशा में भी प्रगति होगी. मछुआरों को रिहा करने के पाकिस्तान के निर्णय के बाद श्रीलंका ने भी अपनी जेलों में बंद सभी भारतीय मछुआरों को रिहा करने का फैसला लिया है. इससे राष्ट्रपति राजपक्षे के प्रति भारतीय तमिलों में व्याप्त रोष में भी कमी होगी. ऐसे ही संकेत अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भी हैं. कुल मिलाकर आगाज अच्छा है, बेहतर अंजाम की आशा है.

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