यह सुनिश्चित हो चुका है कि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में राजग की सरकार बनेगी. परंतु प्रश्न यह है कि क्या इस सरकार का भविष्य भी वाजपेयी सरकार जैसा होगा जिसमें पांच साल का सत्ता सुख था और दस वर्ष का वनवास? तमाम आंकड़े बताते हैं कि अटल सरकार में विकास के सराहनीय कार्य हुए थे, फिर भी जनता ने उनको नकार दिया. दरअसल, मुख्य कारण यह था कि तब भाजपा अपने मुख्य राष्ट्रवादी मुद्दों से भटक गयी थी.
समान नागरिक संहिता, अनुच्छेद-370 और राम मंदिर का मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. अटल सरकार यह भूल गयी थी कि इन मुद्दों के आधार पर उनको जन-समर्थन मिला था. यदि इस आम चुनाव की समीक्षा करें, तो यही लगता है कि मोदी की पहचान कट्टर राष्ट्रवादी की है. अब देखना यह है कि अगली सरकार इन मुद्दों को प्राथमिकता देती है या ठंडे बस्ते में रख देती है.
विकास कुमार, रांची