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सम्मानजनक मानदेय मिले
झारखंड सबसे अमीर राज्य होने के बावजूद राज्य के पारा शिक्षक प्रत्येक साल आंदोलन करने को मजबूर हैं. जिस राज्य के मुख्यमंत्री विकास के दम पर राज्य में भाजपा की 60 सीट जीतने का दावा करते हैं, उस राज्य के पारा शिक्षक की मौत पैसे के अभाव में हो रहा है. वैसे तो पारा शिक्षक […]
झारखंड सबसे अमीर राज्य होने के बावजूद राज्य के पारा शिक्षक प्रत्येक साल आंदोलन करने को मजबूर हैं. जिस राज्य के मुख्यमंत्री विकास के दम पर राज्य में भाजपा की 60 सीट जीतने का दावा करते हैं, उस राज्य के पारा शिक्षक की मौत पैसे के अभाव में हो रहा है. वैसे तो पारा शिक्षक का मानदेय बहुत ही कम है, उनका मानदेय रोक देना मृत्युदंड के समान हो रहा है. अखबार और सोशल मीडिया में पारा शिक्षक की मृत्यु का समाचार मिल रहा है कि पैसे के अभाव में वे इलाज नहीं करा पा रहे हैं.
लेकिन पारा शिक्षक वैसे भी हैं, जो गांव के बच्चे का भविष्य संवार रहे हैं, परंतु अपने बच्चे का बलिदान दे रहे हैं क्योंकि किसी छोटी बीमारी का इलाज कराने के भी उनके पास पैसा नहीं है. अगर इसी तरह हमारे राज्य के पारा शिक्षक मरेंगे, तो राज्य का विकास माननीय मुख्यमंत्री जी कैसे करेंगे. यह सोचने का विषय बन रहा है. सरकार बहुमत में हैं. टीइटी पास पारा शिक्षक को स्थायीकरण करते हुए अन्य पारा शिक्षक को सम्मानजनक मानदेय दिया जाये ताकि समाज में सरकार के प्रति सकारात्मक संदेश जा सके.
सुजीत कुमार, गिरिडीह
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