भारत जैसे विशाल देश में अपराधमुक्त, निष्पक्ष व पारदर्शी चुनाव कराना सबसे बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इस बार मतदाताओं की लंबी कतार देख मन खुश हो गया. उन्होंने बढ़-चढ ़कर अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.
अगर हमारे राजनीतिक दल और राजनेता अपने देश की इस गरिमामयी उपलब्धि के महत्व को समझ पाते, तो निस्संदेह अपनी व्यवस्था और अधिक सार्थकता प्राप्त करती, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हर बार चुनाव अभियानों में राजनीतिक पार्टियों का बदरंग चेहरा ही सामने आता है. जिस चुनाव में मुख्य विमर्श विकास एवं सुशासन पर केंद्रित रहने की आशा की गयी थी, मतदान के गुजरते चरणों के साथ उसमें बदजुबानी चरम पर पहुंच गयी.
जातिवाद तथा सांप्रदायिकता के आधार पर ध्रुवीकरण के लिए तमाम सीमाएं तोड़ दी गयीं. इन सबके बावजूद बदलाव के लिए जनता ने खुल कर मतदान किया, जो काबिले-तारीफ है. रंजू, रांची