कुछ लोग कहते है कि पत्थरगड़ी हमारी संस्कृति और परंपरा है. मेरी जानकारी के अनुसार भी पत्थरगड़ी करना आदिवासियों की परंपरा रही है, लेकिन पत्थरगड़ी का वर्तमान स्वरूप सही नहीं है. कुछ लोग आदिवासियों को गुमराह कर रहे हैं एवं अपना हित साधना चाहते हैं या कहें तो गंदी राजनीति करना चाहते हैं. ऐसे लोग विकास विरोधी हैं.
ऐसे लोगों को पहचानने की जरूरत है. ऐसे लोगो से सतर्क रहने की भी जरूरत है. ये लोग खुद बड़े पदों पर नौकरी करते हैं और अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढाते हैं. वहीं, दूसरी ओर गांव के भोले-भाले अशिक्षित लोगों को सरकारी लाभ नहीं लेने तथा बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की नसीहत देते हैं, ताकि ये अशिक्षित रहें और उनकी बातों पर चलें. सरकार से अपनी गलत बातों को मनवाने के लिए दबाव की राजनीति करना चाहते हैं. ऐसे लोगों को समझना पड़ेगा कि झूठ ज्यादा दिनों तक नहीं चलता.
सुजीत कुमार, इमेल से