मैं आपके अखबार के जरिये मनरेगाकर्मियों की पीड़ा सरकार के सामने रखना चाहता हूं. मैं स्वयं एक पीड़ित हूं. पिछले आठ-नौ महीने से मेरा वेतन बकाया है और पिछले साढ़े तीन वर्षो से आज तक हमारे वेतन में एक रु पया भी बढ़ाया नहीं गया.
यह हाल केवल मेरा हो, ऐसा नहीं है. जिला, प्रदेश, देश के सभी ब्लॉकों के मनरेगाकर्मियों की एक-सी हालत है, जबकि मजदूरों की मजदूरी साढ़े तीन साल में कई बार बढ़ायी गयी. ऐसे में, मनरेगाकर्मियों की आर्थिक, मानसिक और सामाजिक स्थिति क्या होगी, यह आसानी से समझा जा सकता है. सरकार के पास फिजूलखर्ची के लिए पैसों की भरमार है, लेकिन हमें बकाया मानदेय देने के लिए पैसा नहीं है.
आखिर महंगाई की मार हम पर भी पड़ती है इसलिए केंद्र एवं प्रदेश सरकार, दोनों से अनुरोध है कि मनरेगाकर्मियों की सुध लें और उन्हें भी समाज में इज्जत की जिंदगी जीने में मदद करें.
ददई बिसनोई, ई-मेल से