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किसी मुगालते में नहीं रहे हार्दिक

पाटीदार नेता हार्दिक पटेल आरक्षण की मांग को लेकर भाजपा की दमनकारी नीतियों का विरोध कर जेल की हवा भी खा चुके हैं. दो साल से ऊपर की लड़ाई में अदालत के आदेशानुसार राज्य के बाहर भी रहना पड़ा. आरक्षण देना किसी राजनैतिक पार्टी के हाथ में नहीं है. अदालत की जांच के बाद ही […]

पाटीदार नेता हार्दिक पटेल आरक्षण की मांग को लेकर भाजपा की दमनकारी नीतियों का विरोध कर जेल की हवा भी खा चुके हैं. दो साल से ऊपर की लड़ाई में अदालत के आदेशानुसार राज्य के बाहर भी रहना पड़ा. आरक्षण देना किसी राजनैतिक पार्टी के हाथ में नहीं है.
अदालत की जांच के बाद ही निर्णय लिया जाता है कि समाज आर्थिक स्थिति से कमजोर है या नहीं. भाजपा ने कभी भी आरक्षण के लिए पाटीदारों को बाध्य नहीं किया. गुजरात में विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री बनाने के तुरंत बाद पाटीदारों के द्वारा फैलाई जा रही अशांति का अंत हो गया. 1974 में पाटीदार नेता चिमनभाई पटेल को भी राजनीति से संन्यास लेना पड़ा था. कांग्रेस हार्दिक को मोहरा बनाना चाहती है. कांग्रेस चाहती है कि हार्दिक बिना शर्त भाजपा को सबक सिखाने और सत्ता से बाहर फेंकने के लिए कांग्रेस का समर्थन करे.
कांग्रेस भाजपा को पटखनी देना चाहती है और हार्दिक भाजपा से अपना बदला लेना चाहते हैं. लेकिन एक बात तो सच है कि नरेंद्र मोदी से जनता खुश है और मुख्यमंत्री ने भी विकास के लिए बेहतर काम किया है. वहीं कांग्रेस में कोई ऐसा कर्मठ नेता नहीं दिखता और कोई मुद्दा भी उनके पास नहीं है. ऐसे में हार्दिक का साथ कांग्रेस को कामयाबी शायद ही दिला सके.
कांतिलाल मांडोत, इमेल से

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