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बना रहे सर्वधर्म समभाव

गंगेश ठाकुर टिप्पणीकार मौजूदा वक्त में राजनीति के बदलते रंग ने देश में ऐसी क्रांति का सृजन किया है, जिसने तेजी से विकास की दिशा में बढ़ते इस देश को धर्म, जाति और संप्रदाय के आधार पर बांटने का काम शुरू कर दिया है. आये दिन देश में कभी भीड़ गाय के नाम पर, तो […]

गंगेश ठाकुर
टिप्पणीकार
मौजूदा वक्त में राजनीति के बदलते रंग ने देश में ऐसी क्रांति का सृजन किया है, जिसने तेजी से विकास की दिशा में बढ़ते इस देश को धर्म, जाति और संप्रदाय के आधार पर बांटने का काम शुरू कर दिया है.
आये दिन देश में कभी भीड़ गाय के नाम पर, तो कभी दलित होने के नाम पर लोगों को पीट-पीटकर मार रही है. शास्त्रों में समाज का वर्गीकरण उनके कर्म के आधार पर किया गया था, लेकिन भारत के अंदर आज एक ऐसे समाज का निर्माण हो रहा है, जिसमें जात, पात औप पंत के आधार पर नया भारत बन रहा है.
दुनिया के जितने भी देश विकास को पीछे छोड़कर धर्म के आधार परआगे बढ़ने की जुगत में लगे, उनका हश्र आप देख और सुन ही रहे हैं. दूर जाने की जरूरत नहीं है, हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान हमसे एक दिन पहले आजाद हुआ और धर्म के आधार पर उसके समाज को गढ़े जाने की वजह से विकास की दौड़ में हमसे सैकड़ों कदम पीछे है.
सीरिया, इराक जैसे देशों के हालात से कौन वाकिफ नहीं है. लेकिन, हमारे राजनेताओं को इससे क्या लेना-देना. समझदार लोग कहा करते हैं कि राजनीति और धर्म जब हमसफर बन जायें, तो विनाश ही विनाश सर्वत्र होता है. आज हमारे देश के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं. आज हमारे समाज में कुछ तबके डरकर जी रहे हैं. यह स्थिति हमारे लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.
जिस तरह से एक सांड को खुला छोड़ दिया जाये, तो वह किसी विशेष वर्ग की फसल को बर्बाद नहीं करता. उसी तरह भारत के सामाज में जिस तरह से कुछ लाेगों द्वारा धर्म के नाम पर अनुचित कृत्य किया जा रहा है, वह पूरे भारत को प्रभावित कर रहा है. और इसका नुकसान किसी एक खास वर्ग के लोगों को नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष को होनेवाला है.
हम धर्म के नाम पर जो कुछ भी कर रहे हैं, उसकी जद में एक दिन हम भी आयेंगे, इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता. हालात अगर ऐसे ही रहे, तो एक दिन ऐसा भी आयेगा जब हम अपने भारतीय होने पर गर्व करने में सकुचायेंगे.
तब, हम पहले की तरह सर्वधर्म समभाव के विचारों से अपने आप को इतना जुदा कर चुके होंगे कि इसे इतिहासके विषय में एक दिन केवल हमारी आनेवाली पीढ़ी किताबों में पढ़ेगी और सड़क पर धर्म के नाम पर हो रही हत्याओं में मजमे के तौर पर शामिल होगी.
आज जरूरत है एक बार फिर से भारतीय बनने की. राम, रहीम, नानक, यीशू और बुद्ध के आदर्शों को एक साथ लेकर एक समाज के निर्माण की जरूरत है. सर्वधर्म समभाव बढ़ाने की जरूरत है, ताकि भारतीयता मरे नहीं, युगों-युगों तक जिंदा रहे.

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