हमारे बहादुर सैनिक बेशक दुश्मनों की नापाक हरकतों को रौंदने की ताकत रखते हैं, मगर सिर्फ दस दिनों तक! यह एक डरावना सच ‘कैग’ की रिपोर्ट से निकल कर आया है. संसद में पेश होने वाली देश की सबसे विश्वसनीय संस्था ‘कैग’ की रिपोर्ट आम लोगों के लिए नहीं होती. राजनीतिक ‘शटलर्स’ के हाथों आया मुद्दा जमीन पर आने से पहले खूब उछाला जाता है.
जब ये खबरें मीडिया में ‘ब्रेक’ होती हैं, तब इनका वैश्वीकरण होना तय हो जाता है. और इस तरह की रिपोर्ट से सरहद पार की सुगबुगाहट को हौसला तो मिल ही सकता है. राजनीति के ‘लैब’ में बनी ‘कैग मिसाइलें’ जाने कितनी और कहां तक मार करेंगी? मगर डर तो यह है कि मिसाइलें ‘बैकफायर’ न हो जाये क्योंकि मसला देश की सुरक्षा का हैं.
एमके मिश्रा, रातू, रांची