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पीएम मोदी-नेतन्याहू संधिः प्रौद्योगिकी कोष से नयी ऊंचाइयों को हासिल करेंगे भारत-इजरायल

यरूशलम/नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजरायल यात्रा आज शाम समाप्त हो जायेगी. तीन दिन की यात्रा के दौरान कारोबारी दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, लेकिन इन सभी समझौतों में तकनीकी क्षेत्र में नयी ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय प्रौद्योगिकी कोष का […]

यरूशलम/नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजरायल यात्रा आज शाम समाप्त हो जायेगी. तीन दिन की यात्रा के दौरान कारोबारी दृष्टिकोण से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, लेकिन इन सभी समझौतों में तकनीकी क्षेत्र में नयी ऊंचाइयों को हासिल करने के लिए दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय प्रौद्योगिकी कोष का गठन किया जाना है.

इस खबर को भी पढ़ेंः भारत-इजरायल के बीच हो सकता है 13 हजार करोड़ का रक्षा सौदा

इसके अलावा भारत और इजरायल के बीच अंतरिक्ष, कृषि और जल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए सात समझौतों पर दस्तखत किये गये हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सात समझौतों पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद इन सात करारों पर हस्ताक्षर किये हैं. बताया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच चार करोड़ डॉलर के भारत-इजरायल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास तथा तकनीकी नवोन्मेषण कोष की स्थापना के लिए सहमति ज्ञापन पर दस्तखत किये गये हैं.

चार करोड़ डाॅलर का गठित होगा प्रौद्योगिकी कोष

इजरायल के साथ इन सात समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि हमारा विचार है कि साथ मिलकर हमारे वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस क्षेत्र में आपसी लाभ के समाधान का विकास, निर्माण एवं क्रियान्वयन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि औद्योगिक विकास के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए इस चार करोड़ डॉलर के द्विपक्षीय प्रौद्योगिकी नवोन्मेषण कोष से हमें इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि हम दोतरफा व्यापार और निवेश के प्रवाह को अपनी मजबूत भागीदारी का आधार मानते है. प्रधानमंत्री नेतन्याहू और मेरे बीच इस दिशा में और काम करने पर सहमति बनी है. इन प्रयासों में दोनों देशों की कंपनियों को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए.

सरकारी जलापूर्ति के लिए किये गये समझौते

इसके साथ ही, भारत-इजरायल की आेर से जल क्षेत्र में दो समझौतों पर दस्तखत किये गये हैं. इनके तहत दोनों पक्षा जलसंरक्षण और भारत में राज्यों में सरकारी जलापूर्ति निकायों के कामकाज में सुधार के लिए सहयोग करेंगे. मोदी ने कहा कि नवोन्मेषण, जल एवं कृषि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इस्राइल अग्रणी देश है. भारत के विकास में ये मेरे प्राथमिकता के क्षेत्र हैं. उन्होंने कहा कि हमारे बीच इस बात की सहमति बनी है कि जल एवं संसाधनों के इस्तेमाल में दक्षता, जल संरक्षण और उसकी स्वच्छता, कृषि क्षेत्र में उत्पादकता में बढ़ाेतरी दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं.

जियो-लियो आॅप्टिकल लिंक के लिए भी दोनों देशों के बीच बनी सहमति

कृषि क्षेत्र में सहयोग के लिए दोनों पक्ष तीन साल के भारत-इजरायल विकास सहयोग कार्यक्रम पर सहम हुए हैं. यह कार्यक्रम 2018 से 2020 तक चलेगा. इसके अलावा, दोनों पक्षों के बीच परमाणु घड़ियों के क्षेत्र में सहयोग पर भी सहमति बनी है. इस यात्रा के दौरान जियो-लियो आॅप्टिकल लिंक और छोटे सैटेलाइट के लिए इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन के क्षेत्र में सहयोग के लिए भी अलग-अलग एमओयू किये गये. मोदी ने कहा कि नेतन्याहू के साथ बातचीत में आतंकवाद की रोकथाम और अपने रणनीतिक हितों के संरक्षण के लिए साथ मिलकर अधिक विस्तार से काम करने की भी सहमति बनी है.

प्रौद्योगिकी कोष के गठन से ये होंगे फायदे

भारत और इस्राइल की आेर से पांच साल के लिए प्रौद्योगिकी कोष शुरू किया गया है. यह कुछ उसी तरह का कोष है, जिससे चार दशक तक अमेरिका के साथ इजरायल के संबंधों को मजबूती मिली. इसके अलावा, दोनों देश व्यापारिक और कारोबारी संबंधों को बढ़ावा देने के लिए निवेश संरक्षण संधि पर बातचीत के लिए भी सहमत हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक इस्राइल यात्रा के दौरान जारी संयुक्त वक्तव्य में द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढाने के लिए अन्य क्षेत्रों के साथ स्टार्टअप की भी पहचान की गयी है.

नये कोष में हर साल डाले जायेंगे 40 लाख डाॅलर

मोदी की इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बातचीत के बाद जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देश पांच साल तक हर साल इजरायल आैर भारत नवोन्मेषण पहले कोष या आई4एफ में 40 लाख डॉलर डालेंगे. भारत इजरायल द्विपक्षीय व्यापार 1992 में 20 करोड़ डॉलर था, जो पिछले साल तक बढ़कर 4.2 अरब डॉलर हो गया. दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय व्यापार और निवेश की पूरी क्षमता के इस्तेमाल पर जोर दिया.

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