नयी दिल्ली : दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग ने आज कहा कि जेल किसी कैदी को सजा देने की व्यवस्था नहीं है बल्कि अपराध के बारे में उसकी चेतना को जगाने और उसमें बदलाव लाने की जगह है ताकि वह रिहाई के बाद समाज में योगदान कर सके. जंग दिल्ली की जेलों के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे जहां वह मुख्य अतिथि थे. इस अवसर पर सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जंग ने उन दिनों को याद किया जब वह दो माह के लिए इंदौर में जेल के अधीक्षक थे.
उन्होंने कहा, ‘‘ उन दिनों आराम था क्योंकि आपातकाल लागू था लेकिन वह अनुभव अच्छा था. मैंने यह सीखा कि जेल में काम करना कितना मुश्किल और शानदार होता है क्योंकि यह हर किसी के बस की बात नहीं है. नियमित पुलिस की नौकरी की तरह यह नौकरी मुश्किल है. इसमें एक और जिम्मेदारी बढ जाती है कि आपको व्यक्ति की मानसिक स्थिति को भी समझना पडता है.’’ जंग ने इस बात को विशेष तौर पर रेखांकित किया कि भारत जैसे देश में , जो लोग अपराध करते हैं उन्हें संभवत: समाज,कानून या सभ्यता ऐसा करने को मजबूर करती है. अपने शुरुआती दिनों में मैंने भिंड और मुरैना में काम किया जहां लोग कडे राजस्व कानूनों के कारण डकैत बन जाते हैं, ये कानून बेहद कडे हैं. न्याय मिलने में इतनी देरी होती है कि लोग न्याय पाने के लिए अपराध करते हैं.’’
जंग ने कहा, ‘‘ कोई भी जेल हो, मैं महसूस करता हूं कि यह दंड देने की व्यवस्था नहीं है , सजा इसका एक हिस्सा है. असली बात यह है कि व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध के बारे में उसकी चेतना को जगाया जाए और जब वह जेल से बाहर आए तो वह न केवल इसे महसूस करे बल्कि वह यह भी जानता हो कि अपराध क्यों किया गया और कैसे वह जेल से बाहर आने के बाद समाज में योगदान कर सकता है.’’ अपनी पत्नी के साथ जंग जेल मुख्यालय पहुंचे जहां सुरक्षा बलों ने उन्हें सलामी गारद पेश किया. उन्होंने पुलिस मुख्यालय में ‘‘नीलकंठ फाउंटेन चौक’’ का भी उद्घाटन किया. यह फव्वारा कमल के आकार का है और इसमें नीले रंग की टाइलें लगी हैं. इसीलिए इसे नीलकमल नाम दिया गया है.
जंग ने पुलिसकर्मियों को उनके अच्छे प्रदर्शन और खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले पुलिसकर्मियों को पुरस्कार भी वितरित किए. बाद में उन्होंने एक भित्ति चित्र का भी अनावरण किया जिस पर तिहाड जेल के कैदियों ने एक कविता लिखी है और उस पर हनीफ कुरैशी तथा उनकी टीम के सदस्यों ने चित्रकारी की है. ‘‘चारदीवारी’’ शीर्षक वाली यह कविता ‘‘तिनका तिनका तिहाड’’ किताब से ली गयी है. इस किताब में महिला कैदियों द्वारा लिखी गयी कविताओं को संकलित किया गया है. जंग ने जेल फैक्टरी का भी दौरा किया जहां कैदियों के सुधार और उनके पुनर्वास के लिए विभिन्न पेशेवर कार्यक्रम चलाए जाते हैं.