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एनआईए करेगी नक्सली हमले की जांच : शिंदे

रायपुर : केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने आज कहा कि छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार को हुए नक्सली हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से करायी जायेगी और इतनी बड़ी संख्या में जवानों की शहादत का मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा. शिंदे ने बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर में, नक्सली हमले में मारे […]

रायपुर : केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने आज कहा कि छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार को हुए नक्सली हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से करायी जायेगी और इतनी बड़ी संख्या में जवानों की शहादत का मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा.

शिंदे ने बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर में, नक्सली हमले में मारे गये जवानों को श्रद्धांजलि देने तथा मुख्यमंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मंगलवार को सुकमा जिले के तोंगपाल थाना क्षेत्र में 15 जवानों की जान लेने वाले नक्सली हमले की जांच एनआईए से करायी जायेगी.

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष क्षेत्र में नक्सल हमले में कांग्रेस नेताओं के मारे जाने की घटना की जांच भी एनआईए कर रही है और अब इस मामले की जांच भी एनआईए से कराई जायेगी.

कल छत्तीसगढ़ में एक बार फिर नक्सलियों ने अपनी ताकत दिखायी और सीआरपीएफ के 15 जवानों को मौत के घाट उतार दिया. नक्सलियों के इस दुस्साहस के बाद आज गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे रायपुर पहुंचे और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी.

कल मंगलवार को छत्तीसगढ़ में जो कुछ हुआ उसके बाद सरकार के लिए आगामी लोकसभा चुनाव को शांतिपूर्ण संपन्न कराना चुनौती बन गया है. मंगलवार को दो सौ से ज्यादा हथियारबंद नक्सलियों ने झीरम घाटी के पास रोड ओपनिंग के लिए निकली सीआरपीएफ और जिला पुलिस की पार्टी पर जबर्दस्त हमला किया.नक्सलियों ने कई घायल जवानों को चाकू से गोद कर उनकी हत्या कर दी.

जवानों की हत्या करने के बाद नक्सली उनके पास के सारे हथियार, गोलियां, वायरलेस सेट लूटकर भाग निकले.हद तो तब हो गयी जब नक्सलियों ने जवानों के शव के नीचे भी बम रख दिये. साथ ही जवानों के शरीर पर बंधे बुलेट के पाउच को भी काट कर वे साथ ले गए. इस हमले के बाद घटनास्थल पर चारों ओर खून ही खून नजर आ रहा था. जवानों के शव सड़क पर बिखरे पडे थे. पिछले साल 25 मई को नक्सलियों ने इसी झीरम घाटी में कांग्रेस के काफिले पर हमला बोला था, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, विद्या चरण शुक्ल समेत 29 से ज्यादा लोग मारे गये थे.

छत्तीसगढ़ सरकार अगर लापरवाही न बरतती तो सुकमा में नक्सलियों के हमले में मारे गये पुलिकर्मियों की जान बच जा सकती थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चार दिन पहले ही छत्तीसगढ़ सरकार को नक्सलियों के संभावित हमले को लेकर अलर्ट किया था, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लेने की चूक पुलिसकर्मियों की जान पर भारी पड़ गयी.

केंद्र ने छत्तीसगढ़ समेत नौ राज्यों के मुख्य सचिवों को सात मार्च को नक्सली हमले की आशंका को लेकर एडवाइजरी जारी की थी. इसमें छत्तीसगढ़ सरकार को खुफिया एजेंसियों के हवाले से कहा गया था कि नक्सली बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं. एक निजी चैनल के हवाले से कहा गया है कि उसके पास गृह मंत्रलय के इस नोट की कॉपी है. इसमें साफ तौर पर माओवादी हमले की आशंका जाहिर करते हुए पैरा-मिलिट्री और राज्य पुलिस को सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश दिया गया है. मंगलवार की सुबह पुलिस दल पर घात लगाकर किये गये इस हमले में 20 पुलिसकर्मियों व एक ग्रामीण की मौत हो गयी, जबकि 20 से 25 पुलिसकर्मी घायल हो गये हैं.

मोबाइल कनेक्टिविटी का अभाव
हमले में अलर्ट की चूक के साथ ही मोबाइल कनेक्टिविटी का नहीं होना भी जवानों की जान पर भारी पड़ा. सुकमा में सुरक्षा जवानों पर नक्सलियों के हमले के बाद आसपास के सीआरपीएफ शिविरों से कोई मदद नहीं मिल सकी. सुदूरवर्ती इलाकों में 3000 करोड़ रुपये की लागत से कनेक्टिविटी स्थापित करने को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बावजूद दूरसंचार विभाग की एक इकाई इस परियोजना को साल भर से अटकाये हुए है.

नक्सली हमले
29 जून 2008 : ओड़िशा के बालीमेला जलाशय में एक नौका पर हमला. 38 जवान शहीद.
16 जुलाई 2008 : ओड़िशा के मल्कानगिरि जिले में बारूदी सुरंग. 21 पुलिसकर्मी मारे गये.
13 अप्रैल 2009 : ओड़िशा के कोरापुट जिले में बॉक्साइट खान में हमला. 10 जवान शहीद.
22 मई 2009 : महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में स्थित जंगलों में 16 पुलिसकर्मियों की हत्या.
10 जून 2009 : झारखंड के सारंडा के जंगलों में गश्ती दल पर हमला. सीआरपीएफ के नौ जवान शहीद.
13 जून 2009 : बोकारो से लगे एक छोटे से कस्बे में दो बारूदी सुरंग में विस्फोट. 10 पुलिसकर्मी मारे गये.
16 जून 2009 : पलामू जिले के बेहराखंड में हमले में चार पुलिसकर्मी मारे गये.
23 जून 2009 : लखीसराय जिला अदालत परिसर में गोलीबारी कर अपने चार कॉमरेड को छुड़ा ले गये.
18 जुलाई 2009 : बस्तर जिले ग्रामीण की हत्या. छत्तीसगढ़ के बीजापुर में वाहन को आग के हवाले किया.
27 जुलाई 2009 : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बारूदी सुरंग में विस्फोट. छह लोगों की मौत.
04 सितंबर 2009 : छत्तीसगढ़ के बीजापुर में चार ग्रामीणों की हत्या.
26 सितंबर 2009: छत्तीसगढ़ में जगदलपुर जिले भाजपा सांसद बलिराम कश्यप के बेटे की हत्या.
09 अक्तूबर 2009 : महाराष्ट्र के गढ़ चिरौली में थाने पर हमला. 17 जवान शहीद.
15 फरवरी 2010 : पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिला में शिविर पर हमला. इस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स के 24 जवान शहीद.
04 अप्रैल 2010 : ओड़िशा के कोरापुट जिले में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में 11 सुरक्षाकर्मियों की मौत.
06 अप्रैल 2010 : दंतेवाड़ा जिले में सीआरपीएफ के 75 जवान और छत्तीसगढ़ पुलिस का एक अधिकारी शहीद.
08 मई 2010 : छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बुलेटप्रूफ वाहन को उड़ाया. सीआरपीएफ के आठ जवान मरे.
29 जून 2010 : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में घात लगा कर हमला. सीआरपीएफ के 26 जवान शहीद.
18 अक्तूबर 2012 : गया जिले में बारूदी सुरंग विस्फोट. सीआरपीएफ के छह जवान शहीद.
25 मई 2013 : छत्तीसगढ़ की दरभा घाटी में नक्सली हमले में पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा और छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेल सहित कांग्रेस के 25 नेता मारे गये.
02 जुलाई 2013 : दुमका में पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक सहित पांच पुलिसकर्मी शहीद.
28 फरवरी 2014 : दंतेवाड़ा जिले में थाना प्रभारी सहित छह पुलिसकर्मी मारे गये.
11 मार्च 2014 : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 15 सुरक्षाकर्मी मारे गये.

आंतरिक सुरक्षा के लिए है बड़ी चुनौती

नक्सलवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है. लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही नक्सलियों ने हमले शुरू कर दिये हैं. मंगलवार को छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले ने यह साबित कर दिया है कि नक्सलवाद भी आतंकवाद की तरह देश के लिए नासूर बन चुका है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी कई बार कह चुके हैं कि आतंकवाद और नक्सलवाद देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है. लगातार हो रहे नक्सली हमलों से एक बात साफ है कि हम उनसे निबटने में उतने कामयाब नहीं हुए हैं जितना होना चाहिए.

आइबी ने अलर्ट जारी कर बताया था कि लोकसभा चुनाव से पहले नक्सली बड़ी योजना को अंजाम देने में जुटे हैं. नक्सलियों ने अपने प्रभाव वाले इलाकों में आम लोगों से मोबाइल जमा करने शुरू कर दिये थे. अगर आंकड़ों पर नजर डालें, तो सामने आता है कि नक्सली किस कदर आतंकियों से भी ज्यादा बड़ा खतरा बन चुके हैं. 1990 से लेकर अब तक नक्सली हमलों में लगभग 12 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. केंद्रीय गृह मंत्रलय की ओर से जारी आंकड़ों से साफ होता है कि साल 2009 और 2010 में सबसे ज्यादा नक्सली हमले हुए. इस दौरान करीबी 2300 जानें गयीं. इनमें से साढ़े छह हजार से ज्यादा निदरेष नागरिक हैं. वहीं 2421 जवानों ने अपने प्राणों की आहूति दी.

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