13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मणिपुर : कभी किंग मेकर थे वाम दल, अब अस्तित्व की लड़ाई

इंफाल : मणिपुर की राजनीति में किसी समय वाम दलों का दबदबा हुआ करता था, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में भाकपा और माकपा राज्य में अपने खोये आधार को वापस पाने की लड़ाई लड़ रही है. माकपा, भाकपा और अन्य समान विचारधारा वाले दलों ने लेफ्ट एंड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के नाम से एक […]

इंफाल : मणिपुर की राजनीति में किसी समय वाम दलों का दबदबा हुआ करता था, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में भाकपा और माकपा राज्य में अपने खोये आधार को वापस पाने की लड़ाई लड़ रही है. माकपा, भाकपा और अन्य समान विचारधारा वाले दलों ने लेफ्ट एंड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के नाम से एक मोर्चे का गठन किया है. वाम दलों ने नेशनल पीपल्स पार्टी के साथ भी चुनावी तालमेल किया है और 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में वह मिलकर 50 सीटों पर लड़ रहे हैं. मणिपुर में ‘जननेता हिजाम’ के नाम से चर्चित हिजाम इराबोत सिंह के नेतृत्व में वाम आंदोलन का लंबा इतिहास रहा है. राज्य में जारी उग्रवाद और जातीय संघर्ष के कारण वाम दल खासे प्रभावित हुए हैं.

भाकपा का दबदबा कभी इतना था कि महज पांच सीटों के साथ वर्ष 2002 में पार्टी ने ओकराम इबोबी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभायी थी. वर्ष 2002 में बनी पहली कांग्रेस सरकार थी कांग्रेस-भाकपा गठबंधन की सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ). वर्ष 2007 में भी एसपीएफ सत्ता में आयी, लेकिन तब तक भाकपा की सीटें घट कर चार ही रह गयीं. बीते एक दशक में राज्य में कई जातीय-वर्ग आंदोलन हुए, जिससे वाम की विचारधारा और राज्य के लोगों पर संगठन के प्रभाव की नाकामी सामने आयी. जले पर नमक साबित हुई वर्ष 2007 के बाद राज्य में हुई कुछ कथित फर्जी मुठभेड़. लोगों का गुस्सा कांग्रेस सरकार के खिलाफ फूटा और कीमत सरकार की साझेदार भाकपा को भी चुकानी पड़ी. 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने भाकपा से पल्ला झाड़ लिया. तब विधानसभा चुनाव में वाम दल एक भी सीट नहीं जीत सका.

तब से वाम दल का आधार छिटकने लगा और पार्टी के बड़े चेहरे कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों में शामिल हो गये. राज्य में वाम दलों की स्थिति इतनी दयनीय हुई कि उसे यहां उम्मीदवार तक नहीं मिले. वर्ष 2012 में भाकपा ने 24 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन वर्ष 2017 में यह केवल छह ही उम्मीदवार उतार सकी.

हमें शून्य से शुरुआत करनी होगी : नारा

भाकपा के राज्य सचिव और एलडीएफ के समन्वयक एम नारा सिंह ने कहा, ‘किसी समय राज्य में हम बड़ी ताकत हुआ करते थे. हमारे पास बड़ी संख्या में सीटें होती थी और राज्य में सरकार के गठन में हमारा विशेष दखल हुआ करता था. लेकिन यह बीते समय की बातें हो चुकी हैं. अब हमें शून्य से शुरुआत करनी होगी. हम राज्य में खोये आधार के लिए लड़ रहे हैं और इसमें अन्य धर्मनिरपेक्ष दल तथा लोकतांत्रिक दल हमारा सहयोग कर रहे हैं.’

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें