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असामान्य चेहरे वाले बच्चे को लोगों ने बनाया भगवान

जालंधर : जालंधर-लुधियाना राजमार्ग पर सतलुज नदी के किनारे स्थित फिल्लौर में असामान्य चेहरे वाले एक बच्चे को आसपास के लोगों ने ‘भगवान’ बना दिया है जिससे वहां मत्था टेकने और मन्नत मांगने वालों की भीड लगी रहती है. हालांकि, बच्चे के पिता इससे इत्तेफाक नहीं रखते लेकिन दबाव के कारण लोगों की बात उन्हें […]

जालंधर : जालंधर-लुधियाना राजमार्ग पर सतलुज नदी के किनारे स्थित फिल्लौर में असामान्य चेहरे वाले एक बच्चे को आसपास के लोगों ने ‘भगवान’ बना दिया है जिससे वहां मत्था टेकने और मन्नत मांगने वालों की भीड लगी रहती है. हालांकि, बच्चे के पिता इससे इत्तेफाक नहीं रखते लेकिन दबाव के कारण लोगों की बात उन्हें माननी पड़ती है.

जालंधर जिले के फिल्लौर के जगतपुरा इलाके में रहने वाले एक दिहाडी मजदूर कमलेश का बेटा तथा असामान्य चेहरे वाला नौ साल का प्रांशू आसपास के लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. लोगों का मानना है कि वह भगवान का अवतार है और मन्नत पूरी करता है. इसलिए उसके घर लोगों की भीड़ एकत्र हो जाती है.
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रहने वाले कमलेश कुमार ने बातचीत में कहा, ‘‘नौ साल के बेटे प्रांशू का जन्म से ही सिर बडा है. आंखे लंबी तथा कम खुलने वाली हैं. चेहरा चपटा है. उसकी इस असामान्य आकृति के कारण लोगों ने उसे भगवान बना दिया है.” कमलेश ने कहा, ‘‘लोग माथा टेकने और मन्नत मांगने आते हैं और अगर मैं मना कर दूं तो उनकी भीड़ घर पर एकत्र हो जाती है. इस कारण मुझे प्रत्येक गुरुवार को स्कूल से उसकी छुट्टी करानी पड़ती है. मैं उसे गुरुवार को सडक के किनारे पेड के नीचे बैठा देता हूं. लोग वहां आते हैं मन्नत मांगते हैं और जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है वह चढावा भी चढा जाते हैं.”
कमलेश कहते हैं, ‘‘जब प्रांशू छोटा था तो मैने सीतापुर में उसे डाक्टर को दिखाया था। डाक्टर भी कहने लगे कि ले जाओ इसे यह भगवान का रुप है और जालंधर में बडे डाक्टरों के पास जाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि उसके पास आने वाले लोगों में कोई न कोई ऐसा होगा जो उसकी जांच कराने में हमारी मदद करेगा क्योंकि पैसे के अभाव में हम आज तक दोबारा किसी भी डाक्टर के पास नहीं गए हैं.”

कमलेश कहते हैं, ‘‘सर्कस वालों समेत कई अन्य लोग पैसे का लालच दिखा कर कुछ दिनों के लिए बच्चा मांगते हैं. मुझे परेशान भी करते हैं. जिस तरह लोग प्रांशू के लिए आते हैं उससे मैं भी कभी कभी सोचने लगता हूं कि सच में वह भगवान ही तो नहीं है.” वह बताते हैं, ‘‘प्रांशू के चार और भाई बहन हैं. इनमें से तीन बिल्कुल सामान्य है जबकि प्रांशू का बडा भाई भी उसकी तरह ही दिखता है.”

पूछने पर उन्होंने बताया, ‘‘लगभग तीन साल पहले हम पति पत्नी अपने काम पर प्रांशू को ले गए. वहां लोग उसकी तरफ आकर्षित होने लगे. एक दिन एक महिला मन्नत पूरा होने की बात करते हुए घर तक आ गयी. उसके बाद से यह सिलसिला चल पडा है. पहले कम लोग आते थे अब बडी तादाद में लोग आते हैं.”

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