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Friday, March 29, 2024

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अरुण जेटली के लिए कितना चुनौतीपूर्ण है इस बार का केंद्रीय बजट, जानिए

नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय बजट 2017 को लेकर उलटी गिनती शुरू हो गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण केंद्रीय बजट की तारीख में बदलाव करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट से स्पष्ट कर दिया कि संसद में बजट पेश करना चुनाव आचार […]

नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय बजट 2017 को लेकर उलटी गिनती शुरू हो गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण केंद्रीय बजट की तारीख में बदलाव करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट से स्पष्ट कर दिया कि संसद में बजट पेश करना चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है. इस फैसले के बाद अब पहली फरवरी को ही केंद्रीय बजट के सदन में पेश करने का रास्ता साफ हो गया है. यानी इस बार पहले के मुकाबले करीब एक पहले केंद्रीय बजट पेश किया जायेगा.

वित्त मंत्री के लिए इस बार का बजट बड़ी परीक्षा से कम नहीं होगा. इस बार के केंद्रीय बजट से लोगों की अपेक्षाएं ज्यादा हैं. कालाधन को खत्म करने, नोटबंदी, डिजिटल ट्रांजेक्शन, जीउएसटी और शेयर बाजार में गिरावट को लेकर इस बार का बजट वित्त मंत्री अरुण जेटली के लिए बड़ी चुनौती भरा होगा. पिछले तीन माह में आर्थिक सुधार को लेकर सरकार के प्रयासों का परिणाम जनता इस बजट में देखना चाहेगी और बाजार की पूरी अर्थव्यस्था में कालेधन के खात्मे, टैक्स सीमा में और राहत तथा कीमतों पर कंट्रोल की भी जनता को उम्मीद है. लिहाजा अरुण जेटली के लिए 2017-18 का बजट कई मायनों में पिछले बजट के मुकाबले चुनौतीपूर्ण होगा.

2017-18 के बजट को लेकर वित्त मंत्री की पांच बड़ी चुनाँतियां :

आयकर में राहत : नये बजट में जनता आयकर में छूट की सीमा में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रही है. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जनता की इस अपेक्षा को पूरा करने के लिए वित्त मंत्री नये बजट में आम करदाताओं के लिए लाभ की घोषणा कर सकते हैं. इसके तहत आयकर में छूट की वर्तमान सीमा 2.5 लाख रुपये को 4 लाख रुपये तक बढ़ा सकते है.

डिजिटल ट्रांजक्शन के नये उपाय : देश में 500 और 1000 को नोट को प्रचलन से बाहर करने के बाद केंद्र सरकार का यह पहला बजट है. जाहिर है, इस बजट को लेकर सरकार पर दबाव ज्यादा होगा, क्योंकि लोगों ने नोटबंदी पर भारत सरकार का जो ऐतिहासिक समर्थन किया है, वे प्रभाव इस बजट में वह देखना चाहेंगे. नये बजट में बिना नकदी लेनदेन को बढ़ावा देने के उपायों और उसमें जनता को नयी राहत मिलने की भी उम्मीद है. सरकार और आरबीआइ की ओर डिजिटल ट्रांजक्शन और इस पर व्यापारियों को छूट सरकार पहले ही दे चुकी है. नये बजट में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और मोबाइल पर्स के जरिये ट्रांजक्शन को बढ़ाने के नये उपायों पर क्या कुछ नया हाेगा, इस पर लोगों की नजर होगी.

रियल एस्टेट सेक्टर को राहत : वैसे तो 2016 में भी भारत के रियल एस्टेट सेक्टर के प्रमुख सकल घरेलू उत्पाद में योगदान बहुत सहज नहीं था, किंतु इस बार चुनौती ज्यादा होगी. रियल एस्टेट नियामक अधिनियम और नोटबंदी ने इस क्षेत्र में आर्थिक निदेश और उत्पादन को बड़ा धक्का पहुंचाया. नांटबंदी के बाद देशभर में नकदी की भारी कमी का संकट पैदा हुआ और इसने खरीदार, विक्रेता और भवन निर्माता तीनों को मुश्किल में डाला है. नये बजट में इसकी भरपाई करना वित्त मंत्री की बड़ी चुनौती होगी. यह उम्मीद की जा रही है कि आयकर की दर में छूट, वेतनभोगी लोगों के लिए मकान भत्ते में कटौती की सीमा में वृद्धि और निर्माण सामग्री की लागत से कमी लाकर यह बजट इस सेक्टर को राहत दे सकता है.

आवास ऋण पर ब्याज भुगतान पर नयी राहत: नरेंद्र मोदी सरकार ने 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना की घोषणा की थी. इस योजना का मकसद सब को मकान उपलब्ध कराने के लिए सस्ते कर्ज उपलब्ध कराना है. यह उम्मीद की जा रही है कि इस बार के बजट में सरकार आवास ऋण पर ब्याज भुगतान पर कटौती दर में वृद्धि की जायेगी.

किसानों को राहत : नोटबंदी के बाद किसान नकदी की कमी के कारण इस बार रबी फसल को बेच नहीं पाये. नोटबंदी का असर था और इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ. इस बजट में इसकी क्षतिपूर्ति के उपाय करने होंगे. यह उम्मीद है कि सरकार इसके लिए बजट में किसानों को कुछ लाभ दे सकती है. खास कर बीज और खाद की उपलब्धता को लेकर.

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